आखिरकार उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में लोगों ने बर्फीली हवाओं के चलते कड़ाके की ठंडी का स्वाद चखा। उत्तर-पश्चिम भारत के भागों में तापमान में व्यापक गिरावट दर्ज की जा रही है। पंजाब, दक्षिणी व पश्चिमी हरियाणा और उत्तर-पश्चिमी राजस्थान के इलाकों में तापमान में ज़बरदस्त कमी आई है।
इन भागों में न्यूनतम तापमान 1 से 3 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया जा रहा है, जो उत्तर भारत के कई पहाड़ी इलाकों से भी कम है। वर्तमान मौसमी परिदृश्य के अनुसार इस समय उत्तर भारत के करीब कोई मौसमी सिस्टम नहीं है जिसके चलते इन भागों में अगले कुछ दिनों तक तापमान की स्थिति में बदलाव के आसार फिलहाल नहीं हैं।
न्यूनतम तापमान के काफी नीचे जाने से ज़मीन पर पड़ने वाली ओस की बूंदें जम जाएंगी। ओस की बूंदों को ही बर्फ के रूप में जमने की स्थिति को पाला यानि ग्राउंड फ़्रोस्ट कहा जाता है। इन भागों में अगले 2-3 दिनों तक तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से नीचे ही बना रहेगा जिससे अगले 2-3 दिनों के दौरान पाला पड़ने के लिए स्थितियाँ अनुकूल हैं।
तापमान के गिरकर सामान्य से काफी नीचे जाने और पाला पड़ने से रबी फसलों को नुकसान की संभावना है। जई, गेहूँ, चना और मटर सहित कई फसलों को इससे नुकसान हो सकता है। पाला पड़ने की संभावना को देखते हुए किसानों को सुझाव है कि खेतों में सिंचाई कर दें ताकि नुकसान से बच सकें।
इन भागों में 13 जनवरी से तापमान में हल्की बढ़ोत्तरी का सिलसिला शुरू होगा जिससे पाला कि स्थिति से राहत मिलेगी। हालांकि यह राहत लंबे समय तक रहेगी ऐसा नहीं है, क्योंकि एक नया पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत का रुख कर चुका है। इसके प्रभाव से मध्य पाकिस्तान पर बना चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र पूर्वी दिशा में भारतीय क्षेत्रों तक बढ़ेगा जिससे मैदानी इलाकों में भी बारिश दर्ज की जाएगी। फिलहाल पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के कुछ हिस्सों में पाला पड़ने की संभावना है।
Image credit: Deccan Chronicle
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