बंगाल की खाड़ी पर बांग्लादेश और म्यांमार से सटे क्षेत्रों के पास एक निम्न दबाव का क्षेत्र विकसित हो गया है। वियतनाम, लाओस, थाईलैंड समेत दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों को भीषण बारिश देने वाला चक्रवाती तूफान ‘सिनलाकू’ म्यानमार पहुंचते-पहुंचते कमजोर होकर निम्न दबाव के क्षेत्र में तब्दील हो गया था और अब बंगाल की खाड़ी के उत्तरी क्षेत्रों पर है। बंगाल की खाड़ी से ही पश्चिमी दिशा में बढ़ते हुए यह सिस्टम और प्रभावी हो सकता है।
इस सिस्टम के चलते उम्मीद बनी है कि मध्य भारत के भागों में सुस्त पड़ा मॉनसून अगले कुछ दिनों के लिए व्यापक रूप ले सकता है। 4 से 6 अगस्त के बीच ओडिशा, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में भीषण बारिश देखने को मिल सकती है। इस सिस्टम के प्रभाव से 5 और 6 अगस्त को गुजरात के उत्तरी क्षेत्रों में भी भारी वर्षा होने की संभावना है। निम्न दबाव के क्षेत्र के प्रभाव से मॉनसून की अक्षीय रेखा भी दक्षिणवर्ती हो जाएगी। पूरब में यह पहले से ही निम्न दबाव के क्षेत्र तक पहुँच गई है। जबकि पश्चिम में अभी भी उत्तरी राजस्थान पर है। जैसे-जैसे यह सिस्टम पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ता रहेगा, मॉनसून ट्रफ भी दक्षिणावर्ती होती रहेगी और मॉनसून की ज्यादा से ज्यादा गतिविधियां मॉनसून ट्रफ और निम्न दबाव के क्षेत्र के आसपास ही देखने को मिलेंगी।
English Version: Low pressure area forms in the Bay Of Bengal, Monsoon to become fast and furious
दक्षिण पश्चिम मॉनसून 2020 की अच्छी शुरुआत हुई थी और जून में सामान्य से 18% बारिश पूरे देश भर में देखने को मिली थी। लेकिन जुलाई काफी निराशाजनक रहा और कई राज्यों पर सूखे जैसे हालात लगातार बने रहे। जुलाई में औसत से 10% कम वर्षा दर्ज की गई। आपको बता दें कि 4 महीनों के मॉनसून सीजन यानी जून-जुलाई-अगस्त और सितंबर में जुलाई सबसे अधिक वर्षा वाला महीना है। इसमें 10% बारिश की कमी बहुत मायने रखती है। जुलाई में बारिश में कमी का ही नतीजा है कि अब देश में मॉनसून वर्षा सामान्य से 2% नीचे पहुंच गई है। अगस्त के शुरुआती 3 दिन भी निराशाजनक रहे और हर दिन सामान्य से कम वर्षा दर्ज की गई। लेकिन वर्तमान निम्न दबाव के चलते उम्मीद है कि आने वाले कुछ दिन देश के कई इलाकों में व्यापक वर्षा होगी।
मॉनसून सीजन में आमतौर पर हर एक महीने में बंगाल की खाड़ी पर दो-तीन प्रभावी मौसमी सिस्टम बनते हैं। लेकिन साल 2020 के मॉनसून में जुलाई में बंगाल की खाड़ी की तरफ से निराशा हाथ लगी। जिसकी वजह से बारिश में कमी रही। लेकिन वर्तमान सिस्टम प्रभावी है बारिश बढ़ाएगा। मॉनसून की हलचल कई क्षेत्रों में होगी। इस सिस्टम के बाद एक दूसरा सिस्टम भी बंगाल की खाड़ी पर विकसित होगा और इस सिस्टम के आगे निकल जाने के बाद देश के पूर्वी तटीय क्षेत्रों से जमीनी भागों पर प्रवेश करेगा।
Image Credit: New Indian Express
कृपया ध्यान दें: स्काइमेट की वेबसाइट पर उपलब्ध किसी भी सूचना या लेख को प्रसारित या प्रकाशित करने पर साभार: skymetweather.com अवश्य लिखें।