जलवायु संकट गहराया: 2025 बन सकता है अब तक का दूसरा या तीसरा सबसे गर्म साल, WMO की चेतावनी

By: Arti Kumari | Edited By: Mohini Sharma
Dec 22, 2025, 7:00 PM
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2025 सबसे गर्म सालों में हो सकता है शामिल

मुख्य बिंदु

  • 2025 दूसरा या तीसरा सबसे गर्म साल बन सकता है
  • ग्रीनहाउस गैसों और महासागरों की गर्मी रिकॉर्ड स्तर पर
  • ध्रुवीय बर्फ, ग्लेशियर और समुद्री स्तर पर गंभीर असर
  • चरम मौसम घटनाओं से जान-माल और अर्थव्यवस्था को नुकसान

विश्व मौसम विज्ञान संगठन की ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 अब तक दर्ज किए गए वर्षों में दूसरा या तीसरा सबसे गर्म साल बन सकता है। यह वैश्विक तापमान में लगातार हो रही बढ़ोतरी की उसी असाधारण कड़ी को आगे बढ़ा रहा है, जो बीते कई वर्षों से देखी जा रही है और जो जलवायु संकट की गंभीरता को स्पष्ट करती है।

COP30 से पहले जारी हुई चेतावनी भरी वैश्विक रिपोर्ट

यह जलवायु अपडेट ब्राजील में होने वाले COP30 सम्मेलन से पहले जारी किया गया है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि ग्रीनहाउस गैसों की लगातार बढ़ती मात्रा और महासागरों में जमा होती गर्मी पृथ्वी की जलवायु प्रणाली को ऐसे स्तर पर ले जा रही है, जहां से हालात और अधिक खतरनाक हो सकते हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि 2015 से 2025 के बीच के 11 साल, 176 वर्षों के अवलोकन रिकॉर्ड में सबसे गर्म 11 साल साबित होने जा रहे हैं। यह साफ संकेत देता है कि वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी अब अस्थायी नहीं, बल्कि लंबे समय तक बनी रहने वाली स्थिति बन चुकी है।

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2025 में वैश्विक तापमान 1.42 डिग्री सेल्सियस ऊपर

जनवरी से अगस्त 2025 के दौरान पृथ्वी का औसत सतही तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तर से 1.42 डिग्री सेल्सियस अधिक दर्ज किया गया। यह बढ़ोतरी ऐसे समय देखने को मिली जब एल-नीनो का असर कमजोर पड़ चुका था और हालात न्यूट्रल या ला-नीना की ओर बढ़ रहे थे, जिससे यह स्पष्ट होता है कि तापमान में लगातार बढ़ोतरी का मुख्य कारण अब प्राकृतिक चक्र नहीं बल्कि मानव गतिविधियां हैं। रिपोर्ट के अनुसार, 2025 में भी ग्रीनहाउस गैसों का स्तर लगातार बढ़ता रहा, जबकि 2024 में ही ये रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच चुका था। औद्योगिक काल से पहले की तुलना में वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा 53 प्रतिशत बढ़ चुकी है और यह 423.9 पीपीएम तक पहुंच गई है, जिसके 2025 में और बढ़ने की आशंका बनी हुई है।

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महासागरों में बढ़ती गर्मी से जलवायु पर दीर्घकालिक असर

महासागर ग्रीनहाउस गैसों के कारण फंसी हुई 90 प्रतिशत से अधिक अतिरिक्त गर्मी को अवशोषित कर लेते हैं। 2025 में महासागरों की गर्मी भी लगातार बढ़ती रही, जिससे पृथ्वी की जलवायु प्रणाली में लंबे समय तक रहने वाले और संभवतः अपरिवर्तनीय बदलाव मजबूत हो रहे हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि आर्कटिक क्षेत्र में सर्दियों के दौरान बनने वाली समुद्री बर्फ का विस्तार अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया, जबकि अंटार्कटिक क्षेत्र में समुद्री बर्फ पूरे साल औसत से काफी कम बनी रही। यह स्थिति ध्रुवीय क्षेत्रों में तेज़ी से हो रहे तापमान बढ़ोतरी की ओर इशारा करती है।

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समुद्र स्तर में रिकॉर्ड बढ़ोतरी और अस्थायी गिरावट

वैश्विक समुद्र स्तर 1990 के दशक की तुलना में लगभग दोगुनी गति से बढ़ रहा है और 2024 में यह रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुँच गया था। 2025 की शुरुआत में इसमें थोड़ी गिरावट देखी गई, लेकिन इसे प्राकृतिक कारणों से जुड़ा अस्थायी बदलाव बताया गया है। दुनिया भर के ग्लेशियरों में लगातार तीसरे साल बर्फ की भारी कमी दर्ज की गई है। ग्लेशियरों के इस तेज़ पिघलाव ने समुद्र स्तर में बढ़ोतरी को और तेज़ कर दिया है और भविष्य के जल संकट को लेकर चिंता बढ़ा दी है।

2025 में चरम मौसमी घटनाओं ने बढ़ाई तबाही

रिपोर्ट के अनुसार 2025 के दौरान दुनिया के कई हिस्सों में चरम मौसमी घटनाएं देखने को मिलीं। अफ्रीका और एशिया में विनाशकारी बाढ़, कई महाद्वीपों में तीव्र हीटवेव, यूरोप और उत्तरी अमेरिका में भीषण जंगल की आग और घातक उष्णकटिबंधीय चक्रवातों ने बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान किया और लाखों लोगों को विस्थापित होने पर मजबूर कर दिया। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि निकट भविष्य में वैश्विक तापमान बढ़ोतरी को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना अब और अधिक कठिन होता जा रहा है। हालांकि वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि तेज़ और बड़े स्तर पर जलवायु कार्रवाई की जाए, तो सदी के अंत तक तापमान को फिर से 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे लाना संभव हो सकता है।

वार्निंग सिस्टम से मिल रही राहत

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि अर्ली वार्निंग सिस्टम और जलवायु सेवाएं आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। इन प्रणालियों की मदद से कृषि, जल, स्वास्थ्य और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों को समय रहते चेतावनी और जानकारी मिल रही है, जिससे जोखिम कम करने में सहायता मिल रही है। हालांकि प्रगति के बावजूद दुनिया के लगभग 40 प्रतिशत देशों में अब भी मल्टी-हैज़र्ड अर्ली वार्निंग सिस्टम उपलब्ध नहीं हैं। जलवायु जोखिमों के लगातार बढ़ने के बीच रिपोर्ट में इस कमी को जल्द से जल्द दूर करने की जरूरत पर जोर दिया गया है।

रिपोर्ट का साफ निष्कर्ष और चेतावनी

रिपोर्ट का निष्कर्ष एक स्पष्ट वैज्ञानिक संदेश देता है कि वैश्विक तापमान बढ़ने की रफ्तार तेज़ हो रही है, इसके प्रभाव लगातार गंभीर होते जा रहे हैं और यदि जीवन, आजीविका और जलवायु की दीर्घकालिक स्थिरता को बचाना है, तो तुरंत और निर्णायक कदम उठाना बेहद जरूरी है।

यह पूरा विश्लेषण विश्व मौसम विज्ञान संगठन की “State of the Global Climate Update” रिपोर्ट पर आधारित है, जो 6 नवंबर 2025 को जारी की गई थी और जिसमें अगस्त 2025 तक के वैश्विक जलवायु संकेतकों का विस्तृत आकलन किया गया है।

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Arti Kumari
Content Writer (English)
A Zoology graduate with a passion for science and storytelling, Arti turns complex weather and climate data into clear, engaging narratives at Skymet Weather. She drives Skymet’s digital presence across platforms, crafting research-based, data-driven stories that inform, educate, and inspire audiences across India and beyond.
FAQ

लगातार बढ़ते वैश्विक तापमान और मानव गतिविधियों से बढ़ी ग्रीनहाउस गैसों के कारण 2025 अत्यधिक गर्म वर्षों में शामिल हो सकता है।

महासागर अधिक गर्मी सोखते हैं, जिससे समुद्र स्तर बढ़ता है, मौसम चरम होता है और जलवायु परिवर्तन लंबे समय तक बना रहता है।

वैज्ञानिकों के अनुसार तेज़ और बड़े स्तर की जलवायु कार्रवाई से तापमान बढ़ोतरी को नियंत्रित किया जा सकता है और भविष्य के जोखिम कम किए जा सकते हैं।

डिस्क्लेमर: यह जानकारी स्काइमेट की पूर्वानुमान टीम द्वारा किए गए मौसम और जलवायु विश्लेषण पर आधारित है। हम वैज्ञानिक रूप से सही जानकारी देने का प्रयास करते हैं, लेकिन बदलती वायुमंडलीय स्थितियों के कारण मौसम में बदलाव संभव है। यह केवल सूचना के लिए है, इसे पूरी तरह निश्चित भविष्यवाणी न मानें।

Skymet भारत की सबसे बेहतर और सटीक निजी मौसम पूर्वानुमान और जलवायु इंटेलिजेंस कंपनी है, जो देशभर में विश्वसनीय मौसम डेटा, मानसून अपडेट और कृषि जोखिम प्रबंधन समाधान प्रदान करती है