इस मानसून सीज़न में राजस्थान में भरपूर बारिश हुई है। राज्य के दोनों उप-खंड पूर्वी और पश्चिमी राजस्थान में सामान्य से अधिक और बड़े पैमाने पर मौसमी बारिश दर्ज की गई है। 1 जून से 18 सितंबर के बीच पश्चिमी राजस्थान में पूर्वी राजस्थान से अधिक बारिश रिकॉर्ड हुई। जहां पश्चिमी हिस्से में औसत (एलपीए) की 75% और पूर्वी हिस्से में 49% बारिश का अधिशेष(अधिकता) रहा है। हालांकि, पिछले 10-15 दिनों में पश्चिमी राजस्थान पूरी तरह सूखा रहा है, वहीं पूर्वी हिस्से में मानसूनी बारिश जारी है। पश्चिमी राजस्थान के बॉर्डर पोस्ट जैसे जैसलमेर और बीकानेर में पिछले 2 हफ्तों से एक भी बूंद बारिश नहीं हुई है। यहां तक कि बाड़मेर, फलौदी और जोधपुर में भी पिछले एक सप्ताह से मौसम सूखा बना हुआ है।
मानसून की वापसी और मौसम: राजस्थान के बॉर्डर इलाकों में बारिश की कमी ने मानसून की वापसी के बारे में सोचने पर मजबूर किया है, हालांकि यह राजस्थान के एक छोटे हिस्से से ही होगी। पिछले साल 2023 में 25 सितंबर से मानसून की वापसी शुरू हुई थी, जिसमें बाड़मेर, फलोदी और जैसलमेर से मानसून विदा हुआ था। वहीं, राजस्थान के अन्य हिस्सों से मानसून की वापसी होने में एक और सप्ताह का समय लगा था। बता दें, पश्चिमी राजस्थान के दूर के इलाकों में आर्द्रता का स्तर(humidity level) भी काफी कम हो गया है, लेकिन मानसून की वापसी से जुड़े शुष्क उत्तर-पश्चिमी हवाओं का पैटर्न बार-बार बाधित हो रहा है, जिससे पश्चिमी राजस्थान में मानसून की पूरी तरह से समाप्ति नहीं हो पाई है।
बंगाल की खाड़ी में नई मौसम प्रणाली: बंगाल की खाड़ी में इस सप्ताह के अंत तक एक और मानसूनी सिस्टम (प्रणाली) बनने की संभावना है। इस प्रणाली का आंतरिक ट्रैक इसे देश के पूर्वी तट से मध्य भागों के माध्यम से पश्चिमी हिस्से तक ले जाएगा। इस पूरी प्रक्रिया में एक सप्ताह का समय लग सकता है। हालांकि, 4-5 दिनों के लीड समय के बाद मौसम मॉडल की सटीकता कम हो जाती है। लेकिन संभावना है कि यह प्रणाली सितंबर महीने के अंत तक राजस्थान तक पहुंच सकती है। हालांकि, मानसून की वापसी की घोषणा के बाद भी बारिश हो सकती है, लेकिन इसके लिए अन्य मौसम मापदंडों का पालन आवश्यक होता है। फिर भी, मानसून की वापसी की घोषणा एक विवादित मुद्दा बनी रहेगी और इस पर विवेकपूर्ण निर्णय लेने की जरूरत है।
फोटो: टाइम्स ऑफ इंडिया