पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय के करीब आ रहा है। जिससे पहाड़ों पर बारिश और बर्फबारी का एक नया दौर शुरू हो जाएगा। विक्षोभ के बचे प्रभाव के कारण मैदानी इलाकों में भी बारिश होगी। जोकि हल्की और बहुत थोड़े समय के लिए होगी। बता दें, बारिश के कारण पहाड़ी और मैदानी इलाकों में किसी भी तरह की परेशान करने वाले मौसम की स्थिति नहीं बनेगी।
25 मार्च से छटेंगे बादल: पर्वतीय श्रृंखलाओं में 21 से 24 मार्च के बीच और मैदानी इलाकों के अलग-अलग हिस्सों में 24 मार्च को मौसमी गतिविधियां होंगी। गतिविधि की समाप्ति और उसके बाद की निकासी (बादल छँटना) 25 मार्च से शुरू होगी। लेकिन पहाड़ों और मैदानों के लिए यह एक छोटा ब्रेक होगा। क्योंकि, इस प्रणाली के हटने के ठीक बाद एक और मौसम प्रणाली से मौसम में गड़बड़ी की आशंका है।
उत्तराखंड में सबसे कम असर: बता दें, इस पश्चिमी विक्षोभ के कारण जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र में चारों दिन (21से 24 मार्च) मौसम की सक्रियता रहेगी। श्रीनगर, पहलगाम और गुलमर्ग जैसे लोकप्रिय रिसॉर्ट्स में चारों दिन बारिश और बर्फबारी होगी। वहीं, हिमाचल प्रदेश में सिर्फ पश्चिमी हिस्से के मध्य और ऊपरी इलाकों में मध्यम या हल्की बारिश और बर्फबारी होगी। मौसम गतिविधि का प्रसार और तीव्रता उत्तराखंड के लिए सबसे कम सिर्फ दो दिनों के लिए होगी। गौरतलब है, अगली मौसम प्रणाली के दौरान भी उत्तराखंड में 27 से 29 मार्च के बीच इसी तरह की स्थिति दोबारा देखी जाएगी।
इस मौसम प्रणाली के जाने के दौरान मैदानी इलाकें किसी भी तरह की जरूरी गतिविधि से बचे रहेंगे। लेकिन, आखिरी दिन यानी 24 मार्च को दिल्ली के नजदीक हरियाणा और राजस्थान के सीमावर्ती इलाकों में अलग-अलग मौसमी गतिविधियां हो सकती हैं। वहीं, दिल्ली एनसीआर के कुछ हिस्सों में हल्की बारिश की संभावना कम है। पारे के स्तर में भी कोई बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं है। 26/27 मार्च को आने वाली अगली प्रणाली अपने पिछली मौसम प्रणाली की तुलना में ज्यादा मजबूत होगी।