अगस्त के बाकी दिनों में पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में मानसून कमजोर रहेगा। इस दौरान कई दिनों में हल्की और कम बौछारें गिर सकती हैं, लेकिन जोरदार मानसूनी बारिश की उम्मीद कम है। गौरतलब है, अगस्त सामान्य रूप से सबसे अधिक बारिश वाला महीना होता है और यह मानसून का अंतिम प्रमुख महीना होता है, इसके बाद सितंबर के मध्य में दक्षिण-पश्चिम मानसून इस क्षेत्र से वापसी शुरू करता है।
पंजाब,हरियाणा में मानसून का आंशिक प्रभाव: इस साल पंजाब और हरियाणा को पूर्ण मानसून का आनंद नहीं मिला। दोनों राज्यों में अभी भी बारिश की कमी है, जिसमें पंजाब सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र है। हालांकि, अगस्त के पहले हिस्से में हुई अच्छी बारिश ने स्थिति को थोड़ा बेहतर किया है। मानसून के बीच सीजन में पंजाब में 45% और हरियाणा में 41% बारिश की मौसमी कमी थी। हालांकि, अब बारिस की कमी घट कर 33% और 16% रह गई है। लेकिन, कम बारिश का दौर दोनों राज्यों में मौसमी बारिश की कमी को बढ़ा सकता है।
मानसूनी प्रवाह में कमी: अगस्त महीने के पहले हिस्से में क्षेत्र के आसपास मानसून ट्रफ की स्थिरता ने अच्छी बारिश दी थी।लेकिन, अब मानसूनी ट्रफ की स्थिति बदल चुकी है। जिससे कम से कम कुछ समय के लिए कृषि को साल के इस में आवश्यक वर्षा के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है। अगले तीन दिनों तक वायुमंडल के निचले स्तरों में मानसून ट्रफ (मानसूनी प्रवाह) का पता नहीं लगाया जा सकेगा। राजस्थान पर प्रतिचक्रवात (एंटीसाइक्लोनिक) हवाओं के कारण इस अवधि के दौरान ट्रफ रेखा पश्चिमी छोर पर रुक सकती है।
नए निम्न दबाव क्षेत्र का प्रभाव: इस बीच, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश के ऊपर बना कम दबाव का क्षेत्र करीब आएगा और 24 अगस्त तक मध्य प्रदेश तक पहुंच जाएगा। इस प्रणाली का व्यापक परिसंचरण मानसून ट्रफ को उसकी सामान्य स्थिति से दक्षिण में 3,000 फीट के घर्षण स्तर से ऊपर खींच लेगा यह मौसम प्रणाली 25 से 28 अगस्त के बीच दक्षिण राजस्थान और गुजरात से गुजरते हुए 29 अगस्त तक उत्तर-पूर्वी अरब सागर में चली जाएगी। इस निम्न दबाव क्षेत्र के जीवनकाल के दौरान पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में न्यूनतम मौसम गतिविधि की उम्मीद है। हां, जब ट्रफ रेखा उत्तरी मैदानी इलाकों को काटते हुए दक्षिण की ओर बढ़ेगी, तो हल्की से मध्यम बारिश के साथ छिटपुट गतिविधि की उम्मीद है। 24 से 28 अगस्त 2024 के बीच हल्की से मध्यम वर्षा की उम्मीद की जा सकती है।