सर्दियों में उत्तर भारत के मौसम का मुख्य कारण पश्चिमी विक्षोभ होता है। पर्वतीय क्षेत्रों में खराब मौसम का असर ज्यादा रहता है, जबकि मैदानी क्षेत्रों में इसका कम प्रभाव देखने को मिलता है। कई बार यह गतिविधियां पहाड़ों तक सीमित रहती हैं और मैदानी इलाके बच जाते हैं। हालांकि, इसका उल्टा होना दुर्लभ है। इस बार बारिश का दौर मुख्य रूप से मैदानी क्षेत्रों में होगा और पहाड़ों पर इसका असर बहुत कम रहेगा।
मैदानी क्षेत्रों में बारिश का मुख्य कारण: इस बार उत्तर भारत में होने वाली बारिश मुख्य रूप से मैदानी इलाकों से संबंधित होगी। इसका मुख्य कारण राजस्थान के ऊपर बनने वाला चक्रवातीय परिसंचरण होगा। इसे ऊपरी हवा के पश्चिमी प्रणाली से मजबूती मिलेगी, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में कोई बड़ी गतिविधि नहीं होगी। पिछली बार हुई बर्फबारी ने पहाड़ों पर जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया था, लेकिन इस बार ऐसा कुछ होने की संभावना नहीं है।
पहाड़ों में अगले तीन दिनों का मौसम: आने वाले तीन दिनों, यानी 8 से 10 जनवरी तक पहाड़ी क्षेत्रों में कोई बड़ी मौसम गतिविधि नहीं होगी। 10 और 11 जनवरी को जब उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में बारिश होगी, तो इसका असर केवल उत्तराखंड के कुछ हिस्सों और हिमाचल प्रदेश के कुछ छोटे स्थानों तक सीमित रहेगा। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में इस दौरान मौसम साफ रहेगा। हिमाचल प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में हल्की गतिविधि( बारिश, ठंडी हवाएं, बर्फबारी) हो सकती है, जबकि पश्चिमी भाग पूरी तरह से सूखा रहेगा। उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में हल्की बारिश की संभावना है, जबकि कुमाऊं क्षेत्र में मौसम काफी हद तक शांत रहेगा।
इस दिन से पहाड़ों पर साफ मौसम: 12 जनवरी के बाद पहाड़ों में मौसम साफ होने की संभावना है। अगले 5-6 दिनों तक इस क्षेत्र में मौसम अच्छा रहेगा। हालांकि, इस दौरान कश्मीर घाटी में शीतलहर की स्थिति बनने की संभावना है।