दक्षिण भारत में पिछले कुछ दिनों से सक्रिया मानसून की स्थिति बनी हुई थी। लेकिन अब मौसम की गतिविधियाँ( बारिश, तेज हवाएं, बिजली कड़कना, गर्जना) अब धीमी पड़ गई हैं। हालांकि, अगले तीन दिनों तक मौसम की गतिविधियां पूरी तरह बंद नहीं होंगी, लेकिन उनका प्रभाव सीमित क्षेत्रों तक रहेगा। वहीं, बारिश की तीव्रता और प्रसार कम हो जाएगा। इसके बाद 22 से 24 नवंबर 2024 के बीच पूर्वोत्तर मानसून लगभग नहीं होने के कारण पूरे क्षेत्र में ठहराव(कमजोर चरण) की स्थिति बनी रहेगी। मौसम गतिविधियों में यह छोटा सा ठहराव "तूफान से पहले की शांति" भी हो सकती है। क्योंकि शुरुआती संकेत बता रहे हैं कि बंगाल की खाड़ी में एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात विकसित हो सकता है।
मौजूदा मौसम प्रणालियाँ और उनका असर: इस समय मालदीव क्षेत्र के ऊपर एक चक्रवाती परिसंचरण सक्रिय है और इसके साथ एक ट्रफ रेखा लक्षद्वीप क्षेत्र तक फैली हुई है। इसके अलावा, निचले स्तरों में मन्नार की खाड़ी और दक्षिण तटीय तमिलनाडु के पास एक और ट्रफ सक्रिय है। ये दोनों मौसम प्रणालियाँ दक्षिण तमिलनाडु और केरल के कुछ हिस्सों में पूर्वोत्तर मानसून का सक्रिया बनाए रखेंगी।
पूर्वोत्तर मानसून में ठहराव: वहीं, पिछले 24 घंटों के दौरान तमिलनाडु के तटीय और आंतरिक क्षेत्रों जैसे पंबन, तोंडी, कराईकल, अतरामपट्टिनम और कोडाइकनाल में मध्यम बारिश दर्ज की गई। केरल के कुछ हिस्सों में भी छिटपुट हल्की बारिश हुई। अगले 3-4 दिनों तक इसी तरह का पैटर्न देखने को मिलेगा, लेकिन तीव्रता और प्रभाव कम रहेगा। इसके बाद मौसम प्रणालियों के कमजोर होने और स्थान बदलने के कारण 24 नवंबर 2024 तक पूर्वोत्तरम मानसून की गतिविधियों में ब्रेक (ठहराव) लग जाएगा। हालांकि, नवंबर के आखिरी सप्ताह में तमिलनाडु और केरल में भारी बारिश, तेज हवाएं चलने का अनुमान है।
बंगाल की खाड़ी में बड़ी मौसम प्रणाली: दक्षिण बंगाल की खाड़ी में एक बड़ी मौसम प्रणाली (large weather system) विकसित होने की संभावना है। यह मौसम प्रणाली एक उष्णकटिबंधीय तूफान में बदल सकता है और श्रीलंका व तमिलनाडु की ओर बढ़ सकता है। इस मौसम प्रणाली की समय-सीमा और प्रभाव का आंकलन करने के लिए अगले 2-3 दिनों तक निगरानी की आवश्यकता होगी। शुरुआती संकेत बताते हैं कि दक्षिणी राज्यों को नवंबर के आखिरी सप्ताह में कठिन मौसम स्थितियाँ बनेंगी। स्थानीय लोगों को कठिन मौसम के लिए तैयार करने की जरूरत है।