जुलाई के महीने में महाराष्ट्र में अच्छी मॉनसून बारिश देखी गई। अगस्त के पहले 10 दिन बीत चुके हैं, लेकिन हमने हरनाई और महाबलेश्वर जैसे कुछ स्थानों को छोड़कर महाराष्ट्र में कोई महत्वपूर्ण मौसम गतिविधि नहीं देखी है। पश्चिमी घाट की पहाड़ियों पर मध्यम से भारी बारिश हो रही है। लेकिन मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र का मौसम लगभग शुष्क है। इसके अलावा विदर्भ में भी छिटपुट बारिश हुई है।
आंकड़ों के अनुसार, 1 जून से 10 अगस्त के बीच, कोंकण और गोवा में 22% अतिरिक्त बारिश हुई है, इसके बाद मराठवाड़ा में 14% अतिरिक्त बारिश हुई है, मध्य महाराष्ट्र में 11% अतिरिक्त बारिश हुई है जबकि विदर्भ में 12% की कमी है।
जुलाई के तीसरे और चौथे सप्ताह में महाराष्ट्र के रायगढ़, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, सतारा, सांगली और कोल्हापुर जिले में व्यापक बारिश हुई थी जिससे कई जगह बाढ़ आई थी तथा स्थिति गंभीर हो गई थी। बंगाल की खाड़ी के ऊपर बने निम्न दबाव के क्षेत्र जो मध्य भारत की तरफ बढ़े तथा महाराष्ट्र के तट पर बने हुई ट्रफ रेखा भारी बारिश के लिए जिम्मेदार थे। अगस्त के शुरुआती दौर में यह दोनों मौसम प्रणालियां कमजोर हो गई जिससे बारिश की गतिविधियों में उल्लेखनीय कमी आई है। बंगाल की खाड़ी में किसी महत्वपूर्ण मौसम प्रणाली के विकसित होने की उम्मीद नहीं है जो कोंकण और गोवा सहित पश्चिमी तट पर मानसून की गतिविधियों को बढ़ा सकता है।
इसके अलावा, अपतटीय ट्रफ रेखा, जो कोंकण और गोवा में बारिश की गतिविधियों में वृद्धि कर सकती है, भी कमजोर रहेगी। अगले एक सप्ताह के दौरान मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र में हल्की बारिश के साथ मौसम लगभग शुष्क रहेगा। 16 अगस्त के बाद से विदर्भ में छिटपुट बारिश हो सकती है। कोंकण और गोवा में अगले सप्ताह के दौरान हल्की से मध्यम तीव्रता के साथ 1-2 स्थानों पर बारिश हो सकती है।
अगस्त के शुरूआती पंद्रह दिनों में मॉनसून के महाराष्ट्र में कमजोर रहने की संभावना है।