उत्तरायण-मकर संक्रांति: सूर्य की उत्तर यात्रा से बढ़ेगा दिन,जानें कैसे बदलेगा मौसम

January 14, 2025 2:16 PM | Skymet Weather Team

सूर्य पूरे विश्व में मौसम गतिविधियों का मुख्य स्रोत है। सूर्य से निकलने वाले विकिरण, गर्मी (इंसोलेशन) और पृथ्वी से उत्सर्जित विकिरण निचली वायुमंडलीय परतों का तापमान नियंत्रित करते हैं और मौसम गतिविधियों का मुख्या कारण बनते हैं। इसका असर उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों (tropical areas) में अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई देता है, क्योंकि सूर्य कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच उत्तर-दक्षिण की ओर चलता है।

मकर संक्रांति तक सूर्य की स्थिति: सूर्य मकर संक्रांति तक मकर रेखा (भूमध्य रेखा के दक्षिण में 23.5°) पर अपने दक्षिणतम बिंदु पर होता है, जिससे उत्तरी गोलार्ध में ठंडक बढ़ जाती है। इस समय दक्षिणी गोलार्ध में उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के विकसित होने की संभावना अधिक रहती है। भारतीय महासागर में इस समय गर्मी की कमी के कारण तूफानों की गतिविधि सबसे कम होती है।

आईटीसीजेड और चक्रवातों का संबंध: इंटर ट्रॉपिकल कन्वर्जेंस ज़ोन (ITCZ) चक्रवाती गतिविधियों के बनने का मुख्य कारण है। इस क्षेत्र में बनने वाली हलचलें गर्म समुद्री सतह से ऊर्जा प्राप्त करती हैं और उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में तूफानों को बढ़ावा देती हैं। अब सूर्य अपने उत्तर की ओर यात्रा कर रहा है और 20 मार्च 2025 को भूमध्य रेखा (0 डिग्री) पर पहुंचेगा, जिसे विषुव (Equinox) कहा जाता है। इस दौरान ITCZ का अक्ष भी सूर्य के साथ उत्तर की ओर स्थानांतरित होता है।

सूर्य का उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश: 21 मार्च से जब सूर्य उत्तरी गोलार्ध में प्रवेश करता है, तो महासागरों और स्थलीय भूभाग पर गर्मी बढ़ने लगती है। सूर्य के साथ ITCZ भी उत्तर की ओर बढ़ने लगता है। इस समय भारतीय महासागर, बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में प्री-मॉनसून चक्रवात का मौसम शुरू हो जाता है। समझने योग्य है कि मार्च के महीने में तूफानी गतिविधियां सबसे कम होती हैं और अप्रैल-मई में इनकी तीव्रता बढ़ने लगती है।

मकर संक्रांति के बाद दिन और रात का संतुलन: मकर संक्रांति के बाद सूर्य की उत्तर की यात्रा के साथ भारतीय क्षेत्र में दिन की अवधि बढ़ने लगती है और रातें छोटी होती जाती हैं। विषुव के आसपास दिन और रात की अवधि बराबर हो जाती है। इसके बाद 21 जून को उत्तरी गोलार्ध में ग्रीष्म संक्रांति तक दिन की अवधि लगातार बढ़ती रहती है, जबकि रातें छोटी होती जाती हैं।

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