उत्तर प्रदेश पर बना मानसून दबाव अब एक निम्न दबाव क्षेत्र में बदल चुका है। इसके अभी और कमजोर होने की संभावना है और यह उत्तराखंड व पश्चिमी यूपी की तलहटी में टूट सकता है। इसका मतलब है कि यह दबाव क्षेत्र धीरे-धीरे अपनी ताकत खो देगा और छोटी-छोटी इकाइयों में बंट जाएगा। जब कोई मौसम प्रणाली कमजोर होकर टूटती है, तो इसका प्रभाव क्षेत्र फैल जाता है और तीव्रता कम हो जाती है। अगले 36-48 घंटों में पहाड़ी राज्य उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में भारी बारिश की संभावना है।
मौसम प्रणाली का प्रभाव और बदलते हालात: जब कोई मौसम प्रणाली जमीन पर कमजोर हो जाती है और फैल जाती है, तो उसकी साथ की गतिविधियाँ (जैसे हल्की बारिश या बादल) बढ़ जाती हैं। इसका मतलब है कि वह पहले से ज्यादा बड़े इलाके में असर डालने लगती है। लेकिन, जैसे-जैसे प्रणाली कमजोर होती है, उसकी ताकत में तेजी से कमी आ जाती है, यानी मौसम का असर बहुत हल्का हो जाता है। इस कमजोर प्रणाली का चक्रवाती परिसंचरण (cyclonic circulation) अब केवल मध्यम ऊँचाई तक पहुँच रहा है, जो पहले की तुलना में ऊर्ध्वाधर दिशा (vertical direction) में कम हो गया है। वहीं, यह फैलाव में चौड़ा लेकिन कम स्पष्ट हो गया है। यह कमजोर प्रणाली उत्तर प्रदेश की तलहटी और नेपाल की सीमा के पास खिसक सकती है। पहाड़ी इलाकों की कठिन भौगोलिक स्थिति (geographical location) के कारण यह कमजोर प्रणाली अब हवा के पैटर्न में दिखाई नहीं देती, लेकिन इसे सैटेलाइट इमेज में बादलों के समूह के रूप में देखा जा सकता है।
यूपी-उत्तराखंड के जोखिम वाले जिले: उत्तराखंड के दोनों मंडलों गढ़वाल और कुमाऊं में भारी बारिश होने की संभावना है, खासकर राज्य के निचले पहाड़ों और तलहटी में भारी बारिश के आसार हैं। उत्तर प्रदेश के तलहटी इलाकों में अगले 24 घंटों में बिखरी हुई भारी बारिश हो सकती है। बिखरी हुई भारी बारिश (Scattered Heavy Rains) का मतलब होता है कि बारिश एक बड़े क्षेत्र में समान रूप से नहीं होती, बल्कि कुछ जगहों पर बहुत ज्यादा बारिश होती है और कुछ जगहों पर बिल्कुल कम या हल्की बारिश होती है। भारी बारिश से जोखिम और खतरे वाले इलाकों में उत्तराखंड के देहरादून, पंतनगर, कोटद्वारा, अल्मोड़ा, रामनगर, उत्तरकाशी, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल, मुक्तेश्वर, केदारनाथ, बदरीनाथ, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, देवप्रयाग और यूपी के पीलीभीत, बरेली, बहराइच, लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, बदायूं, हरदोई, और सीतापुर जिले शामिल हैं।
मौसम की स्थिति में सुधार: लगभग24-36 घंटों के बादउत्तर प्रदेश में मौसम की स्थिति में सुधार शुरू हो जाएगा। वहीं, पहाड़ी क्षेत्रों में मौसम की प्रतिक्रिया थोड़ी धीमी होती है और इसमें 24 घंटे या उससे ज्यादा का समय लग सकता है। पहाड़ों में भारी बारिश से भूस्खलन का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए, अगले 3 दिनों तक पहाड़ी क्षेत्रों में पर्यटन और साहसिक गतिविधियों (adventure activities) से बचने की सलाह दी जाती है।
फोटो क्रेडिट: नेटिव प्लेनेट