19 जुलाई, इस मानसून सीजन का अब तक का सबसे बारिश वाला दिन था। 18 जुलाई को सुबह 8.30 बजे से 19 जुलाई को सुबह 8.30 बजे तक पूरे भारत में 14.1 मिमी बारिश हुई थी, जो दिन के औसत 9.5 मिमी से लगभग 48% अधिक थी। जुलाई के आखिरी 15 दिनों के दौरान बारिश का दैनिक औसत 9.5 मिमी से 10 मिमी के बीच रहा है। 285.3 मिमी की सामान्य वर्षा के साथ जुलाई इस मानसूनी मौसम का सबसे अधिक वर्षा वाला महीना बन गया है।
जुलाई माह के शुरूआती 10 दिनों तक मौसम खराब बना रहा जिसके कारण औसत बारिश में 8% की कमी दर्ज की गई। हालाँकि जून महीने में अच्छी मौसमी गतिविधियों के चलते औसत से 10% अधिक बारिश हुई थी।
जून के अंत और जुलाई महीने की शुरुआत में मानसून के कमजोर होने के कारण समान्य औसत बारिश में कमी हो गयी। 11 जुलाई तक असामान्य मौसमी गतिविधियों के कारण बारिश ठीक से नहीं हुई, जिससे औसत बारिश में 8% की कमी दर्ज की गयी। इसके बाद 15 जुलाई तक हुई अच्छी बारिश ने औसत बारिश की कमी 5% तक पहुंचा दिया, लेकिन अगले 3 दिनों में यह आंकड़ा फिर से 8% तक की कमी हो गयी।
19 जुलाई को हुई 14.3 मिमी की बारिश ने औसत बारिश की कमी को 6% कर दिया तथा बीते 24 घंटों में 48% अधिक वर्षा दर्ज की गयी। वहीं जुलाई के बाकी दिनों में मॉनसून बारिश की गतिविधियां बढ़ने की उम्मीद है। बारिश अधिकांश दिनों में सामान्य जबकि बाकी दिनों में औसत से अधिक बरसात हो सकती है। 20 जुलाई तक मौसमी बारिश के आंकड़ों में 22 मिमी की कमी बनी हुई है वहीं जुलाई माह में अभी भी औसत से 38 मिमी कम बारिश हुई है। हालाँकि स्काईमेटके पूर्वानुमान के अनुसार आने वाले दिनों में इन आंकड़ों में सुधार होने के आसार हैं और जुलाई के अंत तक लगभग 3% की मामूली कमी रह जाएगी।
मुख्य रूप से दो निम्न दबाव वाले क्षेत्रों के साथ-साथ भारत के गंगा के मैदानों के साथ मौसमी ट्रफ मानसून को राजस्थान और गुजरात के दूरस्थ हिस्सों तक ले जाएगी। वहीं बंगाल की खाड़ी के उत्तरी भाग के ऊपर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र पहले ही बन चुका है और अगले 24-48 घंटों में वह निम्न दबाव क्षेत्र में बदल जाएगा। यह पश्चिमी तट पर मानसून की वृद्धि को सक्रिय करेगा जिससे पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र, राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में पर्याप्त मात्रा में बारिश होने की संभावना है। वहीं म्यांमार पर बने हुए मौसमी सिस्टम का बचा हुआ हिस्सा बंगाल की खाड़ी में पहुंचने के साथ ही तीव्र हो जायेगा जिसके कारण 26 जुलाई तक एक निम्न दबाव क्षेत्र बनने की उम्मीद है।
यह सिस्टम 27 या 28 जुलाई तक बांग्लादेश और उससे सटे पश्चिम बंगाल के ऊपर एक डिप्रेशन को और भी प्रभावशाली बना सकता है। इसके बाद डिप्रेशन पश्चिम बंगाल, ओडिशा, झारखंड और देश के मध्य भागों में आगे बढ़ेगा। यह सिस्टम मॉनसून ट्रफ के पश्चिमी छोर को सक्रिय करेगा। जिससे दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बारिश होने की प्रबल संभावना है।
कुल मिलाकर मॉनसून की बारिश तमिलनाडु, दक्षिण तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा और तेलंगाना के कुछ हिस्सों समेत देश के अधिकांश हिस्सों में भी देखने को मिल सकती है। इसके अलावा 25 और 26 जुलाई को उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश के पहाड़ी राज्यों और पंजाब और हरियाणा की तलहटी में बादल फटने की संभावना के साथ भारी बारिश से इंकार नहीं किया जा सकता है।
वहीं 28 से 31 जुलाई के बीच पश्चिम बंगाल, झारखंड और छत्तीसगढ़ में डिप्रेशन के प्रभाव में लगातार बारिश के कारण स्थानीय स्तर पर बाढ़ आने की संभावना है। तेज बिजली के साथ खराब मौसम की स्थिति में जीवन और संपत्ति की सुरक्षा के लिए अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है।