तमिलनाडु में पूर्वानुमान के अनुसार भारी से अति भारी बारिश हो रही है। कल से शुरू हुई बारिश का सिलसिला आज भी जारी है। चेन्नई से लेकर तूतीकोरिन तक के तटीय इलाकों में भारी बारिश ने सामान्य जनजीवन और संचार व्यवस्था को बाधित कर दिया है। प्रशासन ने पहले ही स्कूलों को बंद रखने का आदेश दिया था, साथ ही पर्यटकों को तटीय इलाकों और ऊटी-कोडाईकनाल जैसे हिल स्टेशन की यात्रा से बचने की सलाह दी थी। समुद्र की स्थिति खराब होने के कारण मछुआरों को भी समुद्र में जाने से रोक दिया गया है। खराब मौसम के चलते कुछ उड़ानों को भी डायवर्ट कर दिया है।
मजबूत बने निम्न दबाव क्षेत्र का प्रभाव: पाक जलडमरूमध्य और मन्नार की खाड़ी के ऊपर स्थित अच्छी तरह से चिह्नित निम्न दबाव क्षेत्र पूर्व की ओर बढ़ गया है। उत्तरी श्रीलंका और तमिलनाडु के तटीय इलाकों में भारी से अति भारी बारिश हो रही है। प्रमुख स्थानों जैसे- नुंगमबक्कम में 74 मिमी, कुड्डालोर में 63 मिमी, टोंडी में 63 मिमी, और मीनमबक्कम में 58 मिमी बारिश दर्ज की गई है।। चेन्नई और डेल्टा क्षेत्र में बीते 24 घंटों के दौरान भारी बारिश का असर सबसे अधिक रहा है। चेन्नई, कराईकल, अतिरामपट्टिनम और नागपट्टिनम में आज सुबह और दोपहर तक भारी बारिश जारी रही है।
मौसम प्रणाली का आगे बढ़ना और बारिश में कमी: मौसम प्रणाली के दक्षिण प्रायद्वीप में पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ने और कमजोर होने की संभावना है। कल 13 दिसंबर को भारी बारिश कम हो सकती है। फिर भी पंबन, टोंडी और तूतीकोरिन क्षेत्र में अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा अभी भी जारी रह सकती है। एक दिन बाद 14 दिसंबर को मौसम साफ होने की उम्मीद है, लेकिन 15 दिसंबर को मौसम पूरी तरह से साफ हो सकता है।
अंडमान सागर में एक और मौसम प्रणाली सक्रिय: अंडमान सागर के दक्षिणी हिस्से में चक्रवाती परिसंचरण के साथ एक और मौसम प्रणाली सक्रिय है। यह प्रणाली पूर्व से पश्चिम की ओर बढ़ेगी और बंगाल की खाड़ी के दक्षिणी हिस्से से गुजरते हुए श्रीलंका तक पहुंचेगी। अगले सप्ताह की शुरुआत में एक और मौसम गतिविधि देखने को मिलेगी।
नया निम्न दबाव क्षेत्र बनने की संभावना: 16 दिसंबर 2024 को तमिलनाडु तट के पास मन्नार की खाड़ी में एक नया निम्न दबाव क्षेत्र के बनने की संभावना है। 16 और 17 दिसंबर को इस प्रणाली के कारण तमिलनाडु (तटीय और आंतरिक भाग) दक्षिणी तटीय आंध्र प्रदेश और केरल में भारी बारिश देखने को मिल सकती है। यह मौसम प्रणाली 18 दिसंबर को लक्षद्वीप क्षेत्र और दक्षिण-पूर्व अरब सागर को पार कर जाएगी, फिर समुद्र तट से दूर पश्चिम की ओर बढ़ेगी।