इस बार पूर्वोत्तर मानसून जोरदार तरीके से आया है। हालाँकि, इसके आधिकारिक तौर पर आने की तारीख 15 अक्टूबर बताई गई थी। लेकिन, अनुकूल परिस्थितियाँ बहुत पहले ही बनी हुई थीं। वहीं, दक्षिण पश्चिम मानसून देश के कई हिस्सों में सक्रिय था। बता दें, देश में एक साथ दोनों मानसून नहीं रह सकते हैं। इस वजह से दक्षिणपूर्व प्रायद्वीपीय भारत में पूर्वोत्तर मानसून के आने की तारीख में थोड़े देरी हुई।
बेंगलुरु में तेज बारिश का दौर: बेंगलुरु में पिछले एक हफ्ते से हल्की बारिश हो रही है। 14 अक्टूबर को मध्यम बारिश और 15 अक्टूबर को भारी बारिश हुई। बेंगलुरु की वेधशाला में 66.1 मिमी और एचएएल ने पिछले 24 घंटों में 89 मिमी वर्षा दर्ज की है। बेंगलुरु के कुछ हिस्सों में सड़कें और गलियां पानी से लबालब हो गई हैं। अब बेंगलुरु के मौसम की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन अगले 6-7 दिनों तक और बारिश की संभावना है।
निम्न दबाव और अन्य मौसमी प्रणालियाँ: दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में एक निम्न दबाव क्षेत्र बना हुआ है, जबकि एक अन्य मौसमी प्रणाली कर्नाटक तट, गोवा और आसपास के अरब सागर में चक्रवाती परिसंचरण के रूप में देखी जा रही है। इन दोनों प्रणालियों को जोड़ने वाली पूर्व-पश्चिम ट्रफ दक्षिण आंतरिक कर्नाटक से होते हुए बेंगलुरु के करीब से गुजर रही है। ये दोनों प्रणालियाँ पश्चिम की ओर बढ़ेंगी, जिससे दक्षिण भारत में और खासतौर से बेंगलुरु में मानसून सक्रिय रहेगा।
अक्टूबर में औसत से ज्यादा बारिश: गौरतलब है, सितंबर सबसे अधिक बारिश वाला महिना होता है। लेकिन इस साल बेंगलुरु में सितंबर महीने में बहुत कम बारिश हुई थी। अक्टूबर के महीने में बारिश में तेजी आने की संभावना है। अब तक 1 से 16 अक्टूबर तक बेंगलुरु की वेधशाला में 148.6 मिमी बारिश दर्ज की गई है। इससे यह उम्मीद की जा रही है कि जल्द ही बारिश का आंकड़ा मासिक औसत 168.3 मिमी को पार कर जाएगा। अगले 6-7 दिनों में शहर और उपनगरों में रुक-रुक कर मध्यम बारिश होती रहेगी। इस दौरान कुछ क्षेत्रों में भारी बारिश के भी आसार हैं, खासतौर पर 18 से 21 अक्टूबर के बीच। इस बारिश के कारण कुछ क्षेत्रों में परिवहन व्यवस्था पर भी असर पड़ सकता है। 23 अक्टूबर से मौसम में सुधार की संभावना है, जिससे बारिश की तीव्रता और क्षेत्र में कमी आ जाएगी।