उत्तर और पूर्वी भारत के मैदानी क्षेत्रों के लिए जनवरी और फरवरी सबसे ज्यादा सर्दियों की बारिश वाले महीने होते हैं। जहां उत्तरी मैदानी इलाकों में कम से कम एक-दो बार हल्की बारिश हुई है, वहीं पूर्वी हिस्से पूरी तरह से सूखे रहे हैं। जनवरी की शुरूआत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली में सामान्य बारिश दर्ज की गई है। लेकिन, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल जैसे पूर्वी राज्यों में बिल्कुल भी बारिश नहीं हुई। बारिश की यह स्थिति पिछले साल मौसम की स्थिति के जैसी लग रही है, जब जनवरी में बिहार में लगभग सूखा रहा और झारखंड में सामान्य से कम बारिश हुई थी। केवल पश्चिम बंगाल ने सामान्य बारिश दर्ज की थी।
जनवरी के आखिर में भी बारिश की कमी: पूर्वी राज्यों (बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल) में जनवरी के दूसरे पखवाड़े में भी अच्छी बारिश होने की संभावना नहीं है। जैसे पिछले साल फरवरी 2024 में अच्छी बारिश हुई थी, अगर ऐसी ही बारिश इस साल भी होती है तो सूखे से राहत मिलेगी। लेकिन अभी बारिश होने को कोई आश्वासन नहीं है। 1 जनवरी से 15 जनवरी 2025 के बीच बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में बारिश नहीं हुई है।
बारिश की कमी के कारण: इन राज्यों में बारिश की कमी का मुख्य कारण पश्चिमी विक्षोभ और उनके प्रेरित सिस्टम का नहीं होना है। अब तक, पश्चिमी विक्षोभ का असर केवल उत्तरी मैदानी इलाकों तक ही सीमित रहा है और उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से आगे नहीं बढ़ सका। यहां तक कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और पूरे मध्य प्रदेश में भी भारी बारिश(मौसमीय कमी) की कमी दर्ज की गई है।
आगामी पश्चिमी विक्षोभ का प्रभाव: एक पश्चिमी विक्षोभ आज और कल छिटपुट बारिश करेगा, लेकिन यह मध्य उत्तर प्रदेश से आगे नहीं बढ़ेगी। अब उत्तरी मैदानी इलाकों में बारिश 20 से 23 जनवरी के बीच होगी, जो पहले से अधिक मजबूत और लंबे समय तक होगी। हालांकि, पिछले सिस्टम की तरह, इस पश्चिमी विक्षोभ का भी असर पूर्वी हिस्सों में तक नहीं पहुंचेगा।
पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में शुष्क मौसम: मध्य भागों पर बने एंटीसाइक्लोनिक सिस्टम ने पूर्वी क्षेत्र के लिए मौसम प्रणालियों की एंट्री को रोक दिया है। केवल बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल में ही नहीं बल्कि पूरे पूर्वोत्तर भारत में भी शुष्क मौसम बने रहने की संभावना है। जनवरी 2025 के शेष दिनों में पूर्वी और पूर्वोत्तर हिस्सों में मौसमीय कमी(सर्दी की बारिश की कमी) बढ़ने की संभावना है।