समय के लिहाज से ग्रीष्म ऋतु परवान चढ़ रही है। लेकिन गर्मी के लिहाज से उत्तर से लेकर मध्य भारत तक अभी भी आप फाल्गुनी मौसम का आनंद ले रहे हैं। इसका कारण है एक के बाद एक आ रहे बारिश के दौर। बीते दो दिनों के ही आंकड़े अगर देखें तो हरियाणा और पंजाब के अधिकांश इलाकों में पारा सामान्य से 8-10 डिग्री सेल्सियस नीचे रहा। राजधानी दिल्ली में भी सामान्य से काफी कम तापमान दर्ज किया जा रहा है। करनाल, चंडीगढ़, पटियाला और लुधियाना में भी तापमान सामान्य से काफी नीचे चल रहा है। इन शहरों में 12 और 13 अप्रैल को अधिकतम तापमान सामान्य से लगभग 8 डिग्री सेल्सियस कम रहा। तापमान कम रहने से आम जनता को निश्चित रूप से सुकून है लेकिन इसने किसान की चिंता बढ़ा दी है और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता घटा दी है। साथ ही इस असंतुलित मौसम से खाद्यान्न तथा फल और सब्जी के उत्पादन पर भी बेहद बुरा असर पड़ा है।
पूरी दुनिया की जलवायु बदल रही है। भारत में भी लगभग 2 वर्षों से मौसम अस्थिर सा होता जा रहा है। मॉनसून का देर से आना, सर्दियाँ देर या जल्दी से शुरू होना और सर्दी तथा गर्मी के मौसम में औसत से काफी अधिक बारिश इस बात की गवाह है कि भारत भी जलवायु परिवर्तन के चक्र से गुजर रहा है। ऐसे में मौसम का सटीक पूर्वानुमान खास तौर से दीर्घावधि और अल्पावधि के लिए पूर्वानुमान की प्रासंगिकता बढ़ गई है। क्योंकि भारत में 60 फीसदी से अधिक लोग कृषि पर निर्भर हैं इसलिए मौसम की भविष्यवाणियों को अनदेखा नहीं कर सकते।
हालांकि उत्तर भारत के मैदानी भागों में इस सप्ताह के शुरुआती 3-4 दिन मौसम शुष्क रहने वाला है। स्काईमेट के अनुसार अगले 3 दिनों के दौरान पश्चिमोत्तर भारत में शुष्क मौसम के चलते तापमान बढ़ेगा और मौसम धीरे धीरे गर्म होगा। 3 दिनों के बाद एक पश्चिमी विक्षोभ उत्तर भारत में पहुँचने वाला है, जिससे पहाड़ों पर हल्की से मध्यम वर्षा और बर्फबारी होगी। हिमालय के तराई वाले भागों में भी हल्की बारिश इस दौरान देखी जा सकती है।
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