पूर्वोत्तर मानसून की तूफानी शुरुआत, बीस सालों में सबसे जल्दी आगमन

October 16, 2024 7:26 PM | Skymet Weather Team

पूर्वोत्तर मानसून ने 15 अक्टूबर को जोरदार शुरुआत के साथ दस्तक दी है। साल 2005 के बाद पूर्वोत्तर मानसून का सबसे जल्दी आगमन हुआ है, तब 12 अक्टूबर को इसकी शुरुआत हुई थी। पिछले 5 सालों में पूर्वोत्तर मानसून का आगमन 16 अक्टूबर 2019 को हुआ था। वहीं, पिछले साल 2023 में यह 21 अक्टूबर को एक धीमी शुरुआत के साथ आया था। बता दें, 10 अक्टूबर से पहले अनुकूल परिस्थितियों के बावजूद आमतौर पर पूर्वोत्तर मानसून नहीं आता है। आमतौर पर इसका आगमन 11 से 27 अक्टूबर के बीच देखा जाता है। गौरतलब है, अब तक का सबसे ज्यादा देरी से पूर्वोत्तर मानसून का आगमन 11 नवंबर 1915 को हुआ था। वहीं, पिछले 40 सालों में सबसे देरी से 2 नवंबर को 1988, 1992 और 2000 में आया था।

पूर्वोत्तर मानसून आने के मानदंड: पूर्वोत्तर मानसून के आगमन को बताने के लिए कुछ आवश्यक शर्तें होती हैं। जैसे तमिलनाडु तट की सतह पर पूर्वी हवाओं का लगातार बहना और आदर्श रूप में पूर्वी हवाओं की गहराई 5,000 फीट या उससे अधिक होना। इसके अलावा, तटीय तमिलनाडु, दक्षिणी तटीय आंध्र प्रदेश और आसपास के क्षेत्रों में व्यापक बारिश होनी चाहिए। आमतौर पर दक्षिण-पूर्व प्रायद्वीप में पूर्वी हवाओं के आने की तारीख 14 अक्टूबर और पूर्वोत्तर मानसून के आगमन की समान्य तिथि 20 अक्टूबर मानी जाती है।

दक्षिण प्रायद्वीप के लिए जीवनदायिनी बारिश: पूर्वोत्तर मानसून दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत के लिए बहुत जरूरी है। यह तमिलनाडु, केरल, तटीय आंध्र प्रदेश, रायलसीमा और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक जैसे पांच मौसम विज्ञान उपविभागों को कवर करता है। इन क्षेत्रों में तमिलनाडु के लिए यह मुख्य बारिश का मौसम है, क्योंकि दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान यह राज्य वर्षा छाया क्षेत्र में आता है। तमिलनाडु को अपनी वार्षिक वर्षा का लगभग 65% हिस्सा इसी मौसम में यानी अक्टूबर से दिसंबर के बीच मिलता है।

पूर्वोत्तर मानसून और मौसमी उतार-चढ़ाव: पूर्वोत्तर मानसून में उच्च स्तर की विविधता देखी जाती है, जिसका परिवर्तनशीलता गुणांक 27% है। यह मौसम वैश्विक जलवायु मानकों जैसे कि ENSO, IOD और MJO से प्रभावित होता है। सामान्य रूप से, अल-नीनो, सकारात्मक IOD और MJO का चरण 2-4 में होना अच्छे उत्तर-पूर्व मॉनसून से जुड़े होते हैं। जबकि, ला-नीना और नकारात्मक IOD का प्रभाव अक्सर उत्तर-पूर्व मॉनसून के लिए अनुकूल नहीं होता। हालांकि, इस मौसम ने कई बार इन मानकों को भी गलत साबित कर दिया है।

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