मौसम पूर्वानुमान और कृषि रिस्क सोल्यूशन के क्षेत्र की अग्रणी भारतीय कंपनी स्काईमेट ने 2021 के लिए मॉनसून पूर्वानुमान जारी कर दिया है। स्काइमेट के मॉनसून पूर्वानुमान के अनुसार चार महीनों जून-जुलाई-अगस्त-सितंबर की औसत वर्षा 880.6 मिमी की तुलना में 2021 में 103% बारिश की संभावना है (एरर मार्जिन +/- 5%)।
मॉनसून के क्षेत्रीय प्रदर्शन पर स्काइमेट का अनुमान है कि उत्तर भारत के मैदानी भागों और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में पूरे सीजन में बारिश कम होने की आशंका है। आंतरिक कर्नाटक में भी मॉनसून के प्रमुख महीनों जुलाई-अगस्त में इसके कमजोर प्रदर्शन यानि कम बारिश की आशंका है। मॉनसून के आरंभिक महीने जून और आखिरी चरण सितंबर में देश भर में व्यापक वर्षा के संकेत हैं।
स्काइमेट के सीईओ योगेश पाटिल के अनुसार “प्रशांत महासागर में पिछले वर्ष से ला नीना की स्थिति बनी हुई है और अब तक मिल रहे संकेत इशारा करते हैं कि पूरे मॉनसून सीज़न में ENSO तटस्थ स्थिति में रहेगा। मॉनसून के मध्य तक आते-आते प्रशांत महासागर के मध्य भागों में समुद्र की सतह का तापमान फिर से कम होने लगेगा। हालांकि समुद्र की सतह के ठंडा होने की यह प्रक्रिया बहुत धीमी रहेगी। इस आधार पर कह सकते हैं कि मॉनसून को खराब करने वाले अल नीनो के उभरने की आशंका इस साल के मॉनसून में नहीं है।
इंडियन ओशन डायपोल (IOD) इस समय तटस्थ स्थिति में है और इसके नकारात्मक होने के रुझान हैं। हालांकि यह थ्रेसहोल्ड सीमा में ही रहेगा। ऐसी स्थिति में यह आगामी मॉनसून को मदद पहुंचाएगा ऐसी संभावना फिलहाल कम है। हालांकि यह मॉनसून 2021 को कमजोर भी नहीं करेगा।
मॉनसून को प्रभावित करने वाला एक अन्य महत्वपूर्ण सामुद्रिक बदलाव है मैडेन जूलियन ओशिलेशन (MJO), जो इस समय हिन्द महासागर से दूर है। पूरे मॉनसून सीजन में यह बमुश्किल 3-4 बार हिन्द महासागर से होकर गुज़रता है। मॉनसून पर इसके किसी प्रभाव के बारे अभी कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगा।
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मानसून पूर्वानुमान प्रस्तुति लिंक: https://drive.google.com/file/d/14uHKTtk2cAeq-N1waTIMvzuxuW_42Hqb/view