उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में 18 से 20 फरवरी 2024 के बीच लगातार तीन दिनों तक भारी बर्फबारी हुई है। पिछले 24 घंटों में मौसम की गतिविधि अपेक्षाकृत कमजोर रही है। प्रणाली का बचा हुआ असर आज भी पहाड़ों पर जारी रहेगा। लेकिन, तीव्रता सीमित रहेगी और पहाड़ी की पूरी श्रृंखला में फैल जाएगा। कल 23 फरवरी को मौसम की स्थिति में सुधार होने की उम्मीद है। हालांकि, पहाड़ों के ऊंचे इलाकों में आंधी, बर्फबारी, भूस्खलन जैसी घटनाएं हो सकती हैं।
वर्षा/बर्फबारी की कमी हुई कम : इस सीजन की बर्फबारी और बारिश के आखिरी दौर ने पहाड़ी राज्यों को संभावित शीतकालीन सूखे से बचा लिया है। फरवरी के मध्य में लगभग 70% मौसमी वर्षा/बर्फबारी की कमी थी, जो अब जम्मू-कश्मीर और हिमाचल प्रदेश राज्य में 40% से कम हो गई है। हालांकि, उत्तराखंड राज्य में अभी भी लगभग 46% की कमी है। वहीं, उत्तराखंड में फरवरी के बचे दिनों में कोई भी मापने योग्य गतिविधि नहीं होने की संभावना है, लेकिन बाद में इसमें तेजी आ सकती है।
ब्रेक के बाद शुरू होगी बारिश\ बर्फबारी: आज मध्य और ऊंचे इलाकों में मौसम की बची हुई गतिविधि होगी, इसके बाद 23 फरवरी पहाड़ों पर मौसमी गतिविधियों से एक ‘ब्रेक’ का दिन होगा। हालाँकि, एक और पश्चिमी विक्षोभ 24 फरवरी को पश्चिमी हिमालय के पास पहुंचेगा और गतिविधि फिर से शुरू हो जाएगी। लेकिन, केवल पहाड़ी राज्यों के मध्य और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में। 24 और 25 फरवरी को कुछ क्षेत्रों तक सीमित छिटपुट बारिश और बर्फबारी की संभावना है। इस पश्चिमी विक्षोभ को पासिंग ट्रफ से एक और धक्का मिलेगा, जो 26 और 27 फरवरी को गतिविधि स्तर को बढ़ाएगा। यहां तक कि श्रीनगर, पटनीटॉप, डलहौजी, मनाली और धर्मशाला जैसी निचली पहाड़ियों में भी इस अवधि के दौरान बारिश और बर्फबारी की उम्मीद की जा सकती है।
मार्च की शुरूआत में मौसमी गतिविधि: 28 फरवरी को हल्की और छोटी मौसम प्रणाली देखने को मिलेगी। 29 फरवरी को जब एक और मौसम प्रणाली आएगी, तो अगले 3 दिनों केलिए मौसम गतिविधियों को तेज गति मिलेगी। 29 फरवरी को हल्की से मध्यम बारिश और बर्फबारी की संभावना है। हालाँकि, मार्च की शुरुआत में 48 घंटों में तीव्रता और प्रसार बढ़ेगा। मैदानी और पहाड़ी इलाकों में एक साथ तेज मौसम गतिविधियों का एक दौर देखने को मिल सकता है।
लंबे समय तक होगी बारिश और बर्फबारी: इसका मतलब यह भी है कि सर्दियों का स्पर्श और स्वाद इतनी जल्दी खत्म नहीं होने वाला है। गौलतलब है इस सीज़न में बारिश और बर्फबारी की मौसमी गतिविधि काफी देर से शुरू हुई, इसलिए इसके लंबे समय तक चलने की संभावना है। इसका एक हिस्सा वसंत के मौसम में फैल सकता है, जो मार्च की शुरुआत से कभी भी दस्तक दे सकता है।