भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने साल 2019 का मॉनसून पूर्वानुमान 15 अप्रैल 2019 को जारी किया था, जिसमें सरकारी एजेंसी ने दीर्घावधि औसत की तुलना में 96% मॉनसून वर्षा की संभावना जताई थी. इसमें मॉडल 5% दर्शाया गया था. जून से सितंबर के बीच 4 महीनों के मॉनसून सीजन में दीर्घावधि औसत वर्षा 887 मिमी है.
उसके बाद एजेंसी ने 31 मई 2019 को अपना संशोधित मॉनसून पूर्वानुमान जारी किया। इसमें भी भारतीय मौसम विभाग ने बारिश का अनुमान 96% ही रखा लेकिन मॉडल एरर घटाकर 4% कर दिया। हालांकि इसमें जुलाई और अगस्त में क्रमशः 95% और 99% वर्षा की संभावना जताई गई थी. लेकिन हाल में जारी संशोधित पूर्वानुमान में अगस्त और सितंबर में दीर्घावधि औसत की तुलना में 100% बारिश का अनुमान लगाया गया. अगस्त में 99% बारिश की संभावना बताई गई है. साथ ही यह भी कहा गया है कि जुलाई के अंत तक बारिश में जो कमी 9% की है उसमें भी सुधार देखने को मिलेगा।
लेकिन वर्ष 2019 के मॉनसून की शुरुआत काफी सुस्त रही और जून महीने में बारिश में 33 फ़ीसदी की कमी दर्ज की गई. उसके बाद जुलाई में 2 सप्ताह ऐसे रहे जब मॉनसून सुधरा और देश में अधिकांश इलाकों में अच्छी बारिश हुई. जिससे बारिश में कमी के आंकड़ों में सुधार हुआ और अब वर्षा में कमी 9% रह गई है.
सरकारी एजेंसी के संशोधित मॉनसून पूर्वानुमान में कही गई बातों को स्काईमेट के नजरिए से कर देखें तो:
मॉनसून के बाकी दो महीनों में अगर 100% का अनुमान लगाया गया है और अगस्त में 99% बारिश की संभावना जताई गई है तो सितंबर में 102% वर्षा होनी चाहिए।
दोनों महीनों में 100% वर्षा होने से बारिश में अभी जो 9% की कमी है उसमें सुधार नहीं होगा। हालांकि इस बेहतर स्थिति में भी बारिश में कमी 5% रह जाएगी. यानी मॉनसून सामान्य से कम बारिश के साथ ही विदा होगा.
वर्तमान में 9% की कमी को दूर करने के लिए मॉनसून सीजन के बाकी बचे दोनों महीनों में दीर्घावधि औसत की तुलना में 110% बारिश होगी तभी संभव है कि बारिश का आंकड़ा सामान्य पर पहुँच पाए.
स्काईमेट के अनुसार अगस्त के दूसरे पखवाड़े में मॉनसून के कमजोर होने की आशंका है, इसलिए दीर्घावधि औसत की तुलना में 100% बारिश होने की संभावना पर आशंका के बादल दिखाई देते हैं. दूसरी ओर यह भी उल्लेखनीय है कि इस साल मॉनसून के कुल प्रदर्शन में अगस्त में होने वाली वर्षा की भूमिका होगी।
Image Credit: Financial Express
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