छत्तीसगढ़, ओडिशा, झारखंड, पश्चिम बंगाल में गंभीर मौसम गतिविधि, ओलावृष्टि और बिजली गिरने की संभावना

March 18, 2024 6:04 PM | Skymet Weather Team

देश के मध्य और पूर्वी हिस्सों में पिछले तीन दिनों से बेमौसम मौसमी हलचल देखने को मिल रही है। हल्का  तूफान, बिजली और तेज बारिश ने छत्तीसगढ़, पूर्वी मध्य प्रदेश और गंगीय पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों को प्रभावित किया है। पड़ोसी राज्यों में भी छिटपुट मौसम गतिविधि देखी गई है। इस सप्ताह के मध्य तक ज्यादा बेमौसम बारिश की उम्मीद है।

कई राज्यों में तूफानी गतिविधियाँ: अगले 2-3 दिनों में मौसम गतिविधि की तीव्रता और प्रसार बढ़ने की संभावना है। दक्षिणी छत्तीसगढ़ और ओडिशा के निचले स्तरों पर एक इन-सिटू साइक्लोनिक सर्कुलेशन आने की संभावना है। एक झुकी हुई ट्रफ रेखा दक्षिण पश्चिम बंगाल से लेकर ओडिशा और छत्तीसगढ़ होते हुए तेलंगाना तक फैलेगी। 19 और 20 मार्च को छत्तीसगढ़,  ओडिशा,  झारखंड और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में मौसम की गतिविधियां तेज होने की उम्मीद है। तूफानी गतिविधि का दायरा पूर्वी मध्य प्रदेश और विदर्भ के कुछ हिस्सों तक भी पहुंच सकता है। हालांकि, यह 20 मार्च को मौसम प्रणाली छत्तीसगढ़, विदर्भ और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों को खाली कर सकती है। लेकिन, इसकी पहुंच बिहार और उत्तरी तटीय आंध्र प्रदेश तक बढ़ने की संभावना है।

ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान:  बेमौसम मौसमी गतिविधि के साथ बिजली गिरने और तेज़ तेज़ हवाएँ चलने की उम्मीद है। क्षेत्र में खड़ी फसलों के लिए नुकसानदायक ओलावृष्टि कई स्थानों पर होने की संभावना है, जो छत्तीसगढ़, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के लिए अधिक भयंकर है। कुछ क्षेत्रों में ज्यादातर शाम औऱ रात में मौसम खराब और खतरनाक स्थितियां होने की संभावना है। मौसम की भारी गतिविधि के कारण बिजली गिरने से और किसी भी तरह से जान-माल की हानि को रोकने के लिए सावधानी बरतें।

इस दिन कम होगी मौसम गतिविधि: बता दें, इस तरह के तूफान और ओलावृष्टि ज्यादातर गर्मी के कारण होती है और प्री-मानसून के दौरान होती है। बंगाल की खाड़ी तीव्रता और प्रसार को तेज करने के लिए नम हवाओं को बढ़ावा देती है। अप्रैल और मई के महीने में इस तरह की शक्तिशाली मौसम गतिविधि ज्यादा होती है। इस तरह की तेज मौसम की गतिविधियाँ उत्तर भारत के मैदानी इलाकों और पहाड़ों से तेज पश्चिमी विक्षोभ के गुजरने क कारण होती है। 21 मार्च को मौसम की गतिविधि काफी हद तक कम हो जाएगी और 22 मार्च को यह क्षेत्र पूरी तरह से खाली हो जाएगा।

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