बिहार में 21 अप्रैल को तूफानी तबाही काल बैसाखी से कुछ अधिक लगती है। स्काईमेट के मौसम विज्ञानियों के मुताबिक हवा की रफ्तार को मापा नहीं जा सका है लेकिन तूफान के लक्षण टोर्नेडो से मिलते जुलते हैं। बिहार में 21 अप्रैल को आए भीषण तूफान से अब तक 65 लोगों की मौत हो चुकी है। दो हजार से अधिक घायल हुए हैं। इस तूफान का सबसे अधिक प्रभाव पूर्णिया ज़िले पर रहा, जहां 42 लोगों की जानें गईं। इसके अलावा मधेपुरा, मधुबनी, कटिहार, सीतामढ़ी, दरभंगा और सुपौल जिलों में भी तूफान ने नुकसान पहुंचाया।
बिहार, झारखंड, ओड़ीशा और पश्चिम बंगाल के भागों में आमतौर पर अप्रैल और जून से बीच काल बैसाखी के प्रभाव से आँधी तूफान आता रहता है। काल बैसाखी में भी हवा की गति 100 से 200 किलोमीटर प्रति घंटे तक चली जाती है लेकिन तबाही इससे कम होती है।
बिहार के छोटा नागपूर क्षेत्र से लेकर मध्य भारत होते हुये केरल तक इस समय भी कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। अगले 3-4 दिनों के दौरान बिहार, झारखंड, ओड़ीशा और पश्चिम बंगाल में फिर से चक्रवाती हवाओं के साथ बारिश होने की आशंका है। इस बार इसकी तीव्रता बहुत अधिक नहीं होगी, लेकिन कुछ स्थानों पर तेज़ हवा के झोंके के साथ भारी वर्षा हो सकती है।
21 अप्रैल के तूफान की चपेट में चार हजार से अधिक जानवर भी मारे गए हैं। तूफान इतना अधिक प्रभावशाली था कि बिजली के लगभग 1500 खंबे टूट गए, बिजली आपूर्ति ठप्प हो गई है। सड़कों और रेल पटरियों पर हजारों पेड़ गिरने से यातायात भी प्रभावित हुआ है। झारखंड के कुछ इलाकों में भी तेज़ झोंकेदार हवाओं के साथ मेघगर्जना हुई। बिहार और पश्चिम बंगाल में आयी तेज आंधी से हुए नुकसान के आंकलन के लिए एक केन्द्रीय दल दोनों राज्यों का दौरा करेगा। प्रधानमंत्री ने गृह मंत्री राजनाथ सिंह को केन्द्रीय दल का नेतृत्व करने को कहा है।