विदर्भ के अधिकांश भागों में पिछले कुछ दिनों के दौरान तापमान तेज़ी से बढ़ा है। अगले 4-5 दिनों तक पारा 40 डिग्री के ऊपर यानि सामान्य से कुछ अधिक ही बना रहेगा। कल नागपुर में सामान्य से 2 डिग्री अधिक 43.2, अकोला में 1 डिग्री अधिक 42.0, बुलड़ाना 39.2 और चंद्रपुर 43.4 डिग्री अधिक यानि सामान्य से 1-1 डिग्री अधिक तापमान दर्ज किया गया। हालांकि 25 अप्रैल को पूर्वी भारत से लेकर मध्य और दक्षिण भारत तक मौसम करवट ले सकता है जिससे इन भागों में कुछ राहत मिलेगी।
स्काईमेट के अनुसार पूर्वी राज्यों से लेकर मध्य प्रदेश, विदर्भ और दक्षिण में केरल तक एक ट्रफ यानि निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है जिसके चलते इन सभी भागों में बादलों का जमावड़ा 24 अप्रैल से शुरू हो सकता है। 25 अप्रैल से बारिश भी होने के आसार हैं। हालांकि विदर्भ और मराठवाडा में बारिश बहुत अधिक नहीं होगी लेकिन मौसम के बदलते परिदृश्य से इन भागों में 25-26 अप्रैल से तापमान में कुछ गिरावट आएगी। यानि कि मौसम के मिजाज़ में आए इस बदलाव से विदर्भ और मराठवाड़ा के लोगों को गर्मी से 2-3 दिनों की राहत मिल सकती है।
विदर्भ का अलग मौसम
ऐतिहासिक आंकड़ों पर नज़र डालें तो विदर्भ के अधिकांश हिस्से मौसम को लेकर पिछले काफी समय से संवेदनशील रहे हैं। सूखे की त्रासदी विदर्भ के लोगों की मुश्किलों का शबब बनती रही है। जिससे मई-जून के महीनों में पानी के लिए लोग त्राहि त्राहि करने लगते हैं। जबकि कभी-कभी अधिक बारिश भी विदर्भ के इलाकों में लोगों की परेशानी बढ़ाती रही है।
पिछले 2-3 वर्षों की मौसमी घटनाओं पर नज़र डालने पर पता चलता है कि विदर्भ में बारिश की मात्रा और बारिश के दौर बढ़ गए हैं। लेकिन बढ़ी मॉनसूनी बारिश से जहां इलाके में हरियाली फैली है वहीं एक चौंकने वाला परिणाम भी सामने आया है। यहाँ प्री-मॉनसून सीजन में ओलावृष्टि और गरज के साथ बारिश की घटनाएँ बढ़ गई हैं। जिससे अनाज और फल उत्पादक किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। आशा कर सकते हैं कि इस बार मॉनसून अनुकूल रहेगा।
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