उत्तर भारत के मैदानी राज्यों के लिए मौसम एक सुखद बदलाव लेकर आया है। उत्तर भारत के पहाड़ों पर पहुंचे सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के चलते मैदानी राज्यों का भी भाग्य जगा है। वर्तमान पश्चिमी विक्षोभ इस सीजन का पहला सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ होगा, जिसके प्रभाव से मैदानी इलाकों में पंजाब और हरियाणा के पास एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विकसित हुआ है।
मैदानी भागों में दीपावली की रात से ही हवाओं के रुख में बदलाव आ गया है और पंजाब, हरियाणा तथा उत्तरी राजस्थान के कुछ इलाकों में बादल दिखाई देने लगे हैं। जैसा कि अनुमान लगाया था, 15 नवंबर को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और एनसीआर के साथ-साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों, हरियाणा और पंजाब के अधिकांश शहरों, उत्तरी और उत्तर पूर्वी राजस्थान, साथ ही उत्तरी मध्य प्रदेश के कुछ इलाकों में वर्षा की गतिविधियां हो सकती हैं। इन भागों में आज यानी 15 नवंबर को कुछ स्थानों पर हल्की और 1-2 जगहों पर मध्यम बौछारें गिर सकती हैं। बादलों की गर्जना भी होने की संभावना है। साथ ही साथ कहीं-कहीं पर बिजली कड़कने की घटनाएं भी हो सकती हैं।
यह बारिश दिल्ली एनसीआर समेत उत्तर भारत के उन शहरों के लिए दवा का काम करेगी जहाँ पर हवा में प्रदूषण यूपी शहर घुल हुआ है। ज्यादातर जगहों पर हवा में मौजूद प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर है और तमाम प्रतिबंधों के बावजूद दीपावली पर हुई आतिशबाजी का असर भी दिखाई देने लगा है। खराब वायु गुणवत्ता में सुधार मुख्यतः दो ही स्थितियों में देखने को मिलता है, एक जब तेज रफ्तार से हवाएं चलें और दूसरा जब तेज बारिश हो। वर्तमान मौसमी परिदृश्य के आधार पर यह कह सकते हैं कि तेज़ हवा तो आने वाले 48 से 72 घंटों के दौरान नहीं चलेगी लेकिन 24 घंटों के दौरान संभावित बारिश इस प्रदूषण को कुछ हद तक साफ करेगी और वायु गुणवत्ता सूचकांक को बेहतर करने में इसकी अहम भूमिका होगी।
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