पिछले कुछ दिनों से मुंबई और आसपास के इलाकों में हल्की-फुल्की बौछारें हो रही हैं। यह सिलसिला अगले एक हफ्ते तक जारी रह सकता है। दक्षिण-पश्चिम मानसून के अंतिम चरण के रूप में कोंकण क्षेत्र खासकर मुंबई में छिटपुट बारिश हो रही है, जो मानसून का एहसास बनाए रख रही है। बता दें, मानसून की विदाई नजदीक है, लेकिन इस सप्ताह में मानसून का पूरी तरह वापस लौटना संभव नहीं है।
मुंबई में मानसून की विदाई और स्थिति: दक्षिण पश्चिम मानसून आम तौर पर 06 अक्टूबर तक मुंबई से वापस चला जाता है। इस साल मानसून की वापसी रेखा मुंबई के बहुत करीब पहुंच गई है और 20°N/70°E, नवसारी (गुजरात), नंदुरबार (महाराष्ट्र) और आगे मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों से होकर गुजर रही है। मुंबई का स्थान 19°N/73°E पर है, जो मानसून विदाई की रेखा के बेहद करीब है। निचले स्तरों पर हवाओं का रूख पूर्वी दिशा की ओर हो गया है, जो मानसून की विदाई की प्रक्रिया का संकेत है। हालाँकि, अगले कुछ दिनों में बारिश जारी रहने से मानसून की तत्काल वापसी(विदाई) पर रोक लग सकती है।
अरब सागर में तूफान बनने की संभावना: इसके अलावा जल्द ही अरब सागर के ऊपर एक उष्णकटिबंधीय तूफान(tropical storm) आने की संभावना है। हालाँकि, अभी इस सिस्टम के बारे में टिप्पणी करना थोड़ा जल्दी होगी, लेकिन अरब सागर में तूफान आने के पर्याप्त संकेत मौजूद हैं। वर्तमान में, लक्षद्वीप क्षेत्र और दक्षिणपूर्व अरब सागर पर एक चक्रवाती परिसंचरण (साइक्लोनिक सर्कुलेशन) बना हुआ है। ऐसा लगता है कि आने वाले दिनों में यह संगठित हो सकता है और इस सीजन का पहला तूफान बन सकता है। यदि ऐसा है, तो इस प्रणाली की उपस्थिति से मुंबई सहित कोंकण तट पर थोड़ी और बारिश हो सकती है। संभावित तूफान कोंकण तट पर सीधा असर नहीं पड़ेगा, लेकिन फिर भी अगले सप्ताह किसी समय कुछ बारिश हो सकती है।
महाराष्ट्र में मानसून विदाई और पूर्वोत्तर मानसून: राजस्थान और उत्तरी गुजरात के ऊपर बने प्रतिचक्रवात (एंटीसाइक्लोनिक) पैटर्न ने मानसून की विदाई का समर्थन दिया है। इसके साथ अगले 2-4 दिनों में मुंबई समेत महाराष्ट्र के कुछ और हिस्सों से मानसून की वापसी हो सकती है। हालांकि, मानसून वापसी के बाद अगर बारिश होती है तो वह पूर्वोत्तर मानसून के मौसम का एक हिस्सा बनेगी, जो दक्षिण प्रायद्वीप में उम्मीद से पहले शुरू हो सकती है। लेकिन, इसके लिए जरूरी है कि देश से दक्षिण-पश्चिम मानसून की विदाई पूरी हो, जिससे शरद ऋतु का मानसून प्रवेश कर सके।