झारखण्ड और बिहार में इस महीने के सामान्य आंकड़ों से कम बारिश देखने को मिली है, हालाँकि इन दोनों राज्यों के लिए यह मौसम बारिश का नहीं है। 28 फरवरी तक के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, सर्दियों के अंत तक झारखण्ड में हुई बारिश में 20% की कमी दर्ज हुई थी, वहीं प्री-मानसून सीज़न की शुरुआत (1 मार्च से 12 मार्च ) में भी इन आंकड़ों में भारी गिरावट देखी गयी।
वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में सर्दियों के अंत तक बारिश के आंकड़ों में 24% की बढ़त थी। लेकिन अभी उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार यहाँ पर बारिश में 74% की कमी रिकॉर्ड की गयी।
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मौसम विशेषज्ञों के अनुसार दक्षिण-पश्चिमी उत्तर प्रदेश से उत्तरी-छत्तीसगढ़ और झारखण्ड होते हुए गंगीय पश्चिम बंगाल तक एक कोन्फ़्लुएन्स जोन बनने के आसार हैं। जिसके कारण आज उत्तरी छत्तीसगढ़ और झारखण्ड के कुछ हिस्सों में छुटपुट बारिश हो सकती है। और 14 से 17 मार्च के बीच उत्तरी छत्तीसगढ़ और झारखण्ड के अधिकांश हिस्सों में गरज के साथ भारी बारिश होने के भी आसार हैं। इसके अलावा झारखण्ड में गरज़ और भारी बारिश की गतिविधयां 16 और 17 मार्च को भी जारी रह सकती हैं।
स्काइमेट का अनुमान है कि, 18 मार्च के बाद इन राज्यों का मौसम सुहावना हो जायेगा । और इस दौरान हुई बारिश से झारखण्ड और छत्तीसगढ़ के बारिश के आंकड़ों में भी बड़ा सुधार आने के संकेत हैं।
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पूर्वी भारत का 'छोटा नागपुर' हिस्सा प्री-मानसून सीज़न में "काल बैशाखी या नॉर्वेस्टर" के लिए भी प्रसिद्ध हैं। वैसे तो काल बैशाखी प्री-मानसून सीज़न (1 मार्च से 31 मई) के दौरान अप्रैल या मई महीने में शुरू होता है लेकिन इस वर्ष मार्च के तीसरे हफ्ते में ही शुरू होने की उम्मीद है।
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