मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के इलाकों में पिछले 3-4 दिनों से भारी बारिश हो रही है। इस क्षेत्र के अधिकांश क्षेत्रों में मासिक औसत से कहीं अधिक बारिश हुई है और कुछ शहरों में इस अवधि के दौरान सैकड़ों मिमी वर्षा दर्ज की गई है। मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र समेत अनेक स्थानों पर मानसून जोरदार रहा है।
उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश और आस पास के इलाकों में एक प्रभावी निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। यह मौसमी सिस्टम कम मानसून का अवशेष है जो 27 जुलाई को बंगाल की उत्तरी खाड़ी के ऊपर आया और बाद में पश्चिम बंगाल, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वी मध्य प्रदेश के भागों पर पहुंच गया। यह निम्न दबाव पिछले 48 घंटों से उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश पर स्थिर बना हुआ है। 25,000 फीट और उससे अधिक की ऊंचाई पर ऊपरी स्तर की हवा की स्थिति इसकी गति को रोक रही है। अगले 3-4 दिनों तक इसी क्षेत्र में मौसमी सिस्टम के खराब रहने की संभावना है।
इसके अलावा पूर्वी राजस्थान और उत्तरी मध्य प्रदेश के साथ-साथ दक्षिण पश्चिम उत्तर प्रदेश में भारी से बहुत भारी बारिश हुई है। जयपुर, अलवर, धौलपुर, भरतपुर, कोटा, बूंदी, ग्वालियर, श्योपुर, शिवपुरी, अशोकनगर, दतिया, टीकमगढ़, मुरैना और ललितपुर में भारी बारिश हुई है। सवाई माधोपुर (राजस्थान), गुना (मध्य प्रदेश) और झांसी (उत्तर प्रदेश) में 01 और 02 अगस्त को लगातार 100 मिमी से अधिक वर्षा हुई है। इन 2 दिनों में सवाई माधोपुर, गुना और झांसी में क्रमश: 333 मिमी, 251 मिमी और 293 मिमी वर्षा दर्ज की गई है। ये स्थान पहले ही अगस्त के अपने मासिक सामान्य औसत को पार कर चुके हैं। इन हिस्सो में जुलाई के तीसरे सप्ताह के दौरान इसी तरह की बारिश देखने को मिली थी ।
इस निम्न दबाव के क्षेत्र ने मानसून को अपने केंद्र के माध्यम से खींच लिया है। हालांकि उत्तर मध्य प्रदेश और दक्षिण उत्तर प्रदेश में अगले 3-4 दिनों तक यह स्थितियां बनी रहेंगी। इसके बाद, मॉनसून की ट्रफ रेखा उत्तर प्रदेश, बिहार की तलहटी से होते हुए उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और असम की ओर बढ़ेगी। इस स्थिति के परिणामस्वरूप भारत के गंगा के मैदानी इलाकों और पूर्वोत्तर भारत की तलहटी को छोड़कर, देश के अधिकांश हिस्सों में कमजोर मानसून की गतिविधियां देखने को मिल सकती है। इन भागों में 08 अगस्त के बाद कभी भी भारी से अत्यधिक भारी बारिश होने की संभावना है और यह लगभग एक सप्ताह तक चलेगी।