डिप्रेशन(दबाव) वर्तमान में उत्तर-पश्चिम मध्य प्रदेश और दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश में बना हुआ है। मौसमी प्रभाव के चलते इस सिस्टम के उत्तर-पूर्व की ओर मुड़ने की संभावना है। अगले 24 घंटों के दौरान पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के इलाकों में भारी से अति भारी बारिश की आशंका है। उत्तराखंड की पहाड़ियों से उत्तर प्रदेश के मैदानी क्षेत्रों की नजदीकी के कारण मौसम की स्थिति गंभीर हो सकती है। अगले 24 घंटों में बहुत ही खराब मौसम की संभावना है। इन दोनों राज्यों में कल(13 अगस्त) को भी मौसम की गतिविधियां कम तीव्रता के साथ जारी रह सकती हैं।
रात में ज्यादा खराब मौसम की स्थिति : अवसाद(डिप्रेशन) का चक्रवाती परिसंचरण मध्य-मंडलीय स्तरों तक फैला हुआ है, जिसमें ऊँचाई के साथ कोई खास झुकाव नहीं देखा गया। यह फीचर मौसम प्रणाली की गंभीरता को दर्शाता है। मौसम प्रणाली की भौगोलिक स्थिति विशेष रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में खतरे को अधिक बढ़ाएगी, जिससे खतरे का स्तर और गंभीर हो जाएगा। अगले 24 घंटों के दौरान उत्तराखंड में बहुत खराब और अशांत मौसम की स्थिति बनी रह सकती है। ऐसी खराब मौसम की स्थिति रात के समय खतरे को और बढ़ा देती है।
भारी बारिश के साथ बिजली गिरने का खतरा: पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है। साथ ही, उत्तराखंड में तेज आंधी-तूफान और बिजली गिरने के भी आसार हैं। गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में अत्यधिक सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। उत्तराखंड राज्य को किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए उच्च स्तर की तैयारी में रहने की जरूरत है।
बादल फटने और भूस्खलन का खतरा: बता दें, संवेदनशील व खतरनाक क्षेत्रों में बादल फटने और भूस्खलन का खतरा काफी बड़ा हो सकता है। किसी भी पर्यटन या साहसिक गतिविधियों को तुरंत रोक देना चाहिए और पर्यटकों को जलाशयों के पास जाने से बचना चाहिए। दोनों राज्यों के इन स्थानों पर खतरा हो सकता है:
उत्तर प्रदेश: अलीगढ़, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बिजनौर, रामपुर, पीलीभीत, अमरोहा, बरेली, बदायूं और आसपास के क्षेत्र।
उत्तराखंड: कोटद्वार, नैनीताल, पौड़ी गढ़वाल, रुद्रप्रयाग, केदारनाथ, बद्रीनाथ, उत्तरकाशी, श्रीनगर, अल्मोड़ा, रामनगर, बागेश्वर, पंतनगर और आसपास के क्षेत्र।
मौसम में सुधार की संभावना: अगले 48 घंटों के बाद मौसम में सुधार की संभावना है, लेकिन आगे भी सावधानी बरतनी जरूरी है। क्योंकि, मौसम के ठीक होने के बाद भी जलाशय प्रतिक्रिया देना जारी रखते हैं। इसका मतलब यह है कि भले ही मौसम साफ हो जाए और बारिश रुक जाए, लेकिन पानी के निकाय (जैसे नदियाँ, झीलें, तालाब) या जलाशय तुरंत स्थिर नहीं होते। पहाड़ों में बारिश के बाद पानी का बहाव जारी रहता है, जिससे नदियों और जलाशयों का जलस्तर बढ़ सकता है। इन जल निकायों में पानी का प्रवाह और बाढ़ जैसी स्थितियाँ मौसम के ठीक होने के बाद भी कुछ समय तक बनी रह सकती हैं, इसलिए अतिरिक्त सतर्कता की जरूरत होती है।