उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में सर्दियों की बारिश का दौर शुरू होने वाला है, जिसमें राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश शामिल हैं। वर्तमान में पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों में शीतलहर की स्थिति बनी हुई है। न्यूनतम तापमान 4-5°C या कुछ स्थानों पर इससे भी कम तक गिर चुका है। मौसम में बदलाव के कारण शीतलहर की स्थिति समाप्त हो जाएगी और इसे ठंडे दिन (Cold Day) की स्थिति में बदल जाएगी।
पंजाब/हरियाणा में सबसे कम तापमान: पंजाब का फिरोजपुर 4°C और पठानकोट 4.2°C के साथ सबसे कम तापमान वाले स्थान हैं। वहीं, हरियाणा में न्यूनतम तापमान 5°C या इससे कम दर्ज किया गया है, जिसमें हिसार में 4.2°C, नारनौल में 3°C, करनाल, सिरसा और पानीपत में 5°C तापमान के साथ शामिल हैं। लेकिन, इन दोनों राज्यों के साथ राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में तापमान धीर-धीरे बढ़ने की संभावना है।
पश्चिमी विक्षोभ और प्रेरित परिसंचरण का असर: एक पश्चिमी विक्षोभ अफगानिस्तान और उत्तर पाकिस्तान के हिस्सों में ऊपरी वायुमंडलीय प्रणाली के रूप में सक्रिय है। निचले स्तरों में एक प्रेरित परिसंचरण पश्चिम राजस्थान और पाकिस्तान के सीमावर्ती क्षेत्रों में पहले ही बन चुका है। यह परिसंचरण पहाड़ी क्षेत्रों के विक्षोभ की तुलना में अधिक प्रभावी है, जिसके कारण मैदानी क्षेत्रों में व्यापक मौसम गतिविधि होगी, जबकि पहाड़ों में इसका प्रभाव कम रहेगा।
कब किस राज्य में होगी बारिश: राजस्थान के पश्चिमी हिस्सों में कुछ स्थानों पर आज रात ही हल्की बारिश और बूंदाबांदी हो सकती है। अधिकांश बारिश 11 जनवरी की शाम और रात में होगी, और कुछ हिस्सों में 12 जनवरी को भी इसका असर रहेगा। मुख्य रूप से हरियाणा, दिल्ली, पश्चिम उत्तर प्रदेश और उत्तर मध्य प्रदेश को इसका लाभ मिलेगा। पंजाब में सबसे कम बारिश होने की संभावना है, जिसमें केवल हरियाणा से सटे सीमावर्ती इलाकों में हल्की बूंदाबांदी हो सकती है। बुंदेलखंड क्षेत्र (उत्तर मध्य प्रदेश) और दक्षिण-पश्चिम व मध्य उत्तर प्रदेश में 11 और 12 जनवरी को बारिश की संभावना है। शेष इलाकों में 12 जनवरी की सुबह से मौसम साफ होने लगेगा।
ओलावृष्टि का खतरा: गौरतलब है, यह बारिश इन राज्यों के किसानों के लिए फायदेमंद साबित होंगी। हालांकि, कुछ क्षेत्रों में ओलावृष्टि की संभावना है, जो फसलों के लिए नुकसानदेह हो सकती है। इससे रबी की फसल को नुकसान पहुंचने की आशंका है।