दक्षिण-पश्चिम मॉनसून जब आता है तो अपने साथ पूरे भारत में खुशहाली बिखेर देता है। हालांकि प्रायः मॉनसून का आगमन अलग-अलग वर्षों में अलग-अलग रूपों में होता है। कई बार तो यह पिछले वर्ष की पुनरावृत्ति होता है। मॉनसून अपने आगमन के समय पहला पायदान तीन चरणों में पार करता है। सबसे पहले मॉनसून का आगमन दक्षिणी अंडमान सागर और निकोबार द्वीप समूह पर होता है, जहां मॉनसून के आगमन की सामान्य समय सीमा अब बढ़ाकर 22 मई कर दी गई है, पहले 20 मई थी।
अंडमान सागर और बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पूर्वी भागों पर इस साल 17 मई को ही मॉनसून ने दस्तक दे थी। मॉनसून का अगला पड़ाव होता है उत्तरी अंडमान सागर और श्रीलंका, जिसे 26 मई के आसपास पार करता है। भारत के मुख्य भू-भाग पर केरल के रास्ते मॉनसून दस्तक देता है 1 जून को। कई बार ऐसा देखा जाता है कि मॉनसून सामान्य रफ्तार से आगे बढ़ता है और कई बार यह तेज़ी से छलांग लगाता है।
अंडमान में 17 मई को ही आ गया था मॉनसून
दक्षिणी अंडमान सागर पर मॉनसून अपने सामान्य आगमन समय से 5 दिन पहले 17 मई को पहुँच गया था। मॉनसून के आगमन के साथ उत्तरी अंडमान सागर पर चक्रवाती तूफान अंपन भी सक्रिय था जिसके कारण श्रीलंका और उत्तरी अंडमान के भागों में भारी बारिश हुई थी। उसके बाद से मॉनसून की उत्तरी सीमा (एनएलएम) आगे नहीं बढ़ी।
ऐसा लग रहा है कि अगले कुछ दिन भारत के दोनों ओर के समुद्री क्षेत्र में मॉनसून आगे बढ़ने की तैयारी करता रहेगा। बंगाल की खाड़ी में उठे चक्रवात अंपन के आगे निकलने के बाद अब जल्द ही अरब सागर भी सक्रिय होगा और मॉनसून को आगे बढ़ाएगा।
मॉनसून के आगमन और इसके प्रदर्शन का सीधा संबंध नहीं
यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि अंडमान सागर या केरल में इसके आगमन और देश के बाकी हिस्सों में मॉनसून के आगे बढ़ने तथा इसके प्रदर्शन के बीच कोई सीधा संबंध नहीं है। केरल में मॉनसून के आगमन का समय भले ही 1 जून है लेकिन कई बार यह 1 जून से पहले तो कई बार 1 जून के बाद आया है।
मॉनसून का सबसे पहले आगमन वर्ष 2004 में हुआ था, जब केरल में 18 मई को मॉनसून वर्षा शुरू हो गई थी। सबसे विलंब से आगमन 1972 में हुआ था जब मॉनसून ने केरल में 18 जून को दस्तक दी थी। इन दोनों अवसरों पर देश ने सूखा देखा था। हालांकि 1972 का सूखा ज़्यादा कष्टकारी था। पिछले 10 वर्षों में से अब तक तक 2011 और 2018 दो वर्ष ऐसे थे जब मॉनसून 29 मई को आया था। 2011 लगभग सामान्य मॉनसून था जबकि 2018 में सूखा पड़ा था।
समग्र भारत में मॉनसून का सफर
समूचे भारत को मॉनसून तीन चरणों में कवर करता है। पहला चरण होता इसके आगमन का और इसी दौरान यह दक्षिण भारत के राज्यों के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों पर आगे बढ़ता है। दूसरे चरण में मध्य और पूर्वी भागों पर मॉनसून वर्षा शुरू हो जाती है। तीसरे और अंतिम चरण में यह उत्तर भारत पर पहुंच जाता है। पहले चरण में मॉनसून आमतौर पर तेज़ी से बढ़ता है और कुछ ही दिनों में लंबी दूरी तय कर लेता है। जबकि दक्षिण और पूर्वोत्तर भारत से आगे बढ़ने के बाद बाद पूर्वी और मध्य भागों तथा उत्तर भारत को कवर करने के अपने सफर में यह कई बार लंबा समय ले लेता है।
केरल में समय से पहले मॉनसून का आगमन
इस बीच हमारा अनुमान है कि दक्षिण-पश्चिम मॉनसून 28 मई तक केरल में दस्तक दे सकता है। इसमे 2 दिनों का एरर मार्जिन है। यह संभावित आगमन तिथि बहुत दूर नहीं है और भूमध्य रेखा के पास स्थितियाँ अनुकूल होती दिख रही हैं। संभावना है कि जल्द ही मॉनसून लंबे छलांग लगाएगा और केरल में दस्तक देगा।
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