बहुत जल्द बंगाल की खाड़ी के ऊपर एक नया कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है। यह इस महीने की अपनी तरह तरह की पहली मौसम प्रणाली होगी। अगले लगभग 48 घंटों में इस मानसून प्रणाली के बनने के लिए स्थितियाँ अनुकूल दिख रही हैं। आमतौर पर नवंबर के महीने को भारतीय समुद्रों में चक्रवातीय गतिविधियों के चरम समय के रूप में जाना जाता है, लेकिन इस बार अब तक कोई गतिविधि नहीं हुई है। यह संभावित मौसम प्रणाली अपने स्थान और आगे के रास्ते के मामले में भी असामान्य हो सकती है।
चक्रवातीय गतिविधियों का सामान्य पैटर्न: नवंबर के महीने में बंगाल की खाड़ी (BOB) में चक्रवाती तूफान आमतौर पर 8°N और 13°N और 90°E और 95°E के बीच बनते हैं। ये प्रणालियाँ आम तौर पर पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ती हैं। फिर उत्तरी तमिलनाडु और दक्षिणी तटीय आंध्र प्रदेश की ओर बढ़ जात हैं। अगर ये सिस्टम 10°N अक्षांश से उत्तर में बनते हैं, तो वे अक्सर मुड़कर बांग्लादेश की ओर बढ़ जाते हैं।
अलग स्थान पर बनेगी यह प्रणाली:यह संभावित सिस्टम भूमध्य रेखीय क्षेत्र में अंडमान सागर के दक्षिणी हिस्से, मलेका जलडमरूमध्य के पास बन सकती है। बहुत कम अक्षांश पर होने के कारण, ऐसे डिस्टर्बेंस के समुद्र में लंबी यात्रा के दौरान कमजोर होने की प्रवृत्ति होती है, क्योंकि कोरिओलिस बल यहां बहुत कम होता है। हालांकि, अपवाद भी होते हैं, इसीलिए आने वाली मौसम प्रणाली उन दुर्लभ प्रणालियों में से एक प्रतीत होती है। उस क्षेत्र में हवा का पैटर्न अगले 24 घंटों के भीतर कुछ गड़बड़ी की संभावना का संकेत देता है।
चक्रवाती परिसंचरण का गठन और निम्न दबाव क्षेत्र: दक्षिण अंडमान सागर में एक चक्रवाती परिसंचरण बनेगा, जो अगले 24 घंटों में और मजबूत होगा। इसके बाद 22 नवंबर की देर रात या 23 नवंबर की सुबह तक एक निम्न दबाव क्षेत्र बनने की संभावना है। इस क्षेत्र में बदलते हवा के पैटर्न के कारण बादलों के समूह बन रहे हैं, जो इस डिस्टर्बेंस की ओर इशारा कर रहे हैं। यह निम्न दबाव क्षेत्र आगे गहराकर इस सप्ताहांत तक डिप्रेशन या डीप डिप्रेशन में बदल सकता है।
चक्रवात बनने की संभावना: अगर यह मौसम प्रणाली पर्याप्त अक्षांश प्राप्त कर लेता है, तो समुद्री परिस्थितियां इसे एक उष्णकटिबंधीय तूफान में बदलने के लिए अनुकूल होंगी। यह इस महीने का पहला ऐसा तूफान हो सकता है, जो बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में बनेगा।
भविष्यवाणी करना अभी जल्दबाजी: फिलहाल, इस मौसम प्रणाली के बनने और इसके प्रभावों की अभी सटीक भविष्यवाणी करना जल्दबाजी होगी। जब यह एक अच्छी तरह से चिह्नित निम्न दबाव क्षेत्र के रूप में उभर जाएगा, तो यह अपने आगे के मार्ग, तीव्रता और समयसीमा के बारे में साफ संकेत देगा। फिलहाल इतना कहा जा सकता है कि भारत के दक्षिणी राज्यों को किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए।