पश्चिमी विक्षोभ, जिसे ट्रफ/चक्रवाती परिसंचरण के रूप में जाना जाता है, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख क्षेत्र पर बना हुआ है। श्रीनगर, गुलमर्ग और पहलगाम के पर्यटन स्थलों सहित पूरे क्षेत्र में आसमान में बादल छाए हुए हैं। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी बादल छा गए हैं। हालाँकि, मौसम की गतिविधि ज्यादा जम्मू और कश्मीर में होने की संभावना है। वहीं, हिमाचल प्रदेश और बहुत हल्की गतिविधि उत्तराखंड को कवर करने की उम्मीद है। बता दें, बर्फबारी 12,000 फीट से अधिक ऊंचाई वाले इलाकों तक ही सीमित रहेगी। श्रीनगर, पटनीटॉप, गुलमर्ग, डलहौजी, धर्मशाला, मनाली और शिमला जैसे तलहटी और निचली चोटियों पर गरज के साथ बारिश होगी।
ओलावृष्टि की संभावना नहीं: इस मौसम प्रणाली का बचा हुआ असर कल 12 मार्च तक रहेगा। एक और पश्चिमी विक्षोभ कल देर से आएगा, जो लगभग पिछले विक्षोभ से ओवरलैपिंग करेगा। अगले दिन 13 मार्च को बारिश, बर्फबारी, तेज हवाएं बढ़ेंगी। जिसका प्रसार ज्यादा होगा और तीव्रता में भी काफी वृद्धि होगी। लेकिन श्रीनगर, मनाली, डलहौजी और शिमला जैसे लोकप्रिय रिसॉर्ट्स में केवल गरज के साथ बारिश हो सकती है। स्नोलाइन अभी भी 9000 फीट या उससे ऊपर बनी रह सकती है। थोड़े समय के लिए ओलावृष्टि की संभावना बनी हुई है।
मार्च में ज्यादा पश्चिमी विक्षोभ: मार्च के महीने में सभी पहाड़ी राज्यों में अच्छी खासी बर्फबारी और बारिश हुई है। हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बड़ी मात्रा में बर्फबारी/ बारिश हुई है। मौजूदा दौर और अगला दौर मौसम गतिविधियों के मार्जिन को बढ़ा देगा। सभी पहाड़ी राज्यों में जनवरी और फरवरी की तुलना में मार्च में अधिक बारिश होती है। वहीं, पश्चिमी विक्षोभ अधिक बार होते हैं, भले ही उनकी अवधि कम हो जाती है। जैसे-जैसे दिन अप्रैल की ओर बढ़ते हैं, वैसे ही विक्षोभ का ट्रैक भी उत्तर की ओऱ ज्यादा चला जाता है।
ठंडी हवा औऱ तापमान में गिरावट:13 मार्च को वर्षा की गतिविधि पंजाब, हरियाणा, उत्तरी राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तलहटी और उत्तरी भागों तक फैल जाएगी। 13 मार्च को केवल एक दिन के लिए मौसम में छोट ब्रेक लगेगा। 14 मार्च को पहाड़ों पर पश्चिमी विक्षोभ का बचा हुआ दिखेगा। लेकिन, मैदानी इलाके तुरंत साफ हो जाएंगे। 15 मार्च को पूरे क्षेत्र से बादल छंटने की उम्मीद है। पश्चिमी विक्षोभ के गुजरने के बाद मैदानी इलाकों में तापमान में कुछ गिरावट और हवा ठंडी देखा जा सकती है।