छत्तीसगढ़, झारखंड, मध्य प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश हुई। दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश पर एक गहरा कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। वहीं हरियाणा के दक्षिणी हिस्सों पर एक कम दबाव का क्षेत्र बना हुआ है। मॉनसून की अक्षीय रेखा गंगानगर से दक्षिण हरियाणा, दक्षिण उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल होते हुए बंगाल की उत्तरी खाड़ी तक जा रही है।
उपरोक्त सभी मौसम प्रणालियों का संयोजन देश के मध्य भागों में इन भारी बारिश के लिए जिम्मेदार है। राजस्थान के अजमेर में 137 मिमी, जयपुर में 62, सवाई माधोपुर में 43, कोटा में 44, मध्य प्रदेश के श्योपुर में 73 मिमी, सतना में 77, सीधी में 71, छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर में 76 मिमी और झारखंड के डाल्टनगंज में 117 मिमी बारिश दर्ज की गई।
दक्षिण पूर्व उत्तर प्रदेश पर बना हुआ गहरा निम्न दबाव का क्षेत्र उत्तर प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों के साथ पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ेगा और दक्षिण हरियाणा पर बने निम्न दबाव के क्षेत्र में विलय हो जाएगा। अगले 24 से 48 घंटों के दौरान पश्चिमी मध्य प्रदेश, पूर्वी राजस्थान और दक्षिण-पश्चिम राजस्थान के कुछ हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश संभव है।
इसके बाद भी अगले 2 या 3 दिनों तक मध्यम बारिश जारी रहेगी, लेकिन तीव्रता कुछ हद तक कम हो जाएगी। छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में बारिश की गतिविधियों में धीरे-धीरे कमी आएगी और इन क्षेत्रों में बारिश छिटपुट और हल्की होगी।
राजस्थान और मध्य प्रदेश के कई हिस्सों में अचानक बाढ़ और जलजमाव की संभावना है। उत्तर पश्चिमी राजस्थान और गुजरात में केवल हल्की छिटपुट बारिश होगी। और इन इलाकों में मानसून कमजोर बना रहेगा।