दक्षिण-पश्चिम मानसून की प्रगति समुद्र तट के दोनों ओर निशारजनक रूप से रुकी हुई है। बंगाल की खाड़ी की शाखा सिक्किम, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर बिहार पर काफी लंबे समय से अटकी हुई है। सामान्य शेड्यूल के अनुसार, मानसून 25 जून तक पूर्वी और मध्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के अधिकांश हिस्सों में पहुँच जाता है। लेकिन, अभी की स्थिति के अनुसार मानसून कुछ पूर्वी हिस्सों में ही रुका हुआ है और मुश्किल से झारखंड, पश्चिम बंगाल और बिहार में प्रवेश कर पा रहा है। एनएलएम (नॉर्दन लिमिट ऑफ मानसून) चाईबासा (झारखंड), हल्दिया (पश्चिम बंगाल), पाकुड़ (झारखंड) और रक्सौल (बिहार) से होकर गुजर रहा है। उत्तरी सीमा इन तीन राज्यों के बाहरी इलाकों से होकर गुजर रही है। अगले तीन दिनों में इन हिस्सों में मानसून के तेजी से आगे बढ़ने और उत्तर प्रदेश में भी बड़ी छलांग लगाने की संभावना है।
ऐसी बन रही मौसम प्रणाली: पूर्वोत्तर और निकटवर्ती पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी (BoB) पर एक चक्रवाती परिसंचरण है, जो मानसून के लिए अनुकूल ट्रिगर है। इसके अलावा, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश पर एक और परिसंचरण/ट्रफ बना हुआ है। BoB पर स्थित परिसंचरण के संगठित होने और 26 जून को ओडिशा और पश्चिम बंगाल के तट के समीप उत्तर-पश्चिम BoB पर आने की संभावना है, जो एक बड़े क्षेत्र को कवर करेगा। इसके अलावा, यह परिसंचरण अगले दिन जमीन पर आ जाएगी और पूर्वी यूपी और बिहार में पहले से मौजूद परिसंचरण के साथ जुड़ जाएगा। ये दोनों मौसम प्रणालियां मिलकर बंगाल की खाड़ी से मानसून प्रवाह को संरेखित करेंगी और इसे पूर्वी राज्यों में गहराई तक ले जाएंगी। मानसूनी पूर्वी हवाएं इंडो-गैंगेटिक मैदानों के साथ स्थापित होने की संभावना है, जो 27 जून 2024 तक पश्चिम बंगाल, बिहार और झारखंड के राज्यों में मानसून की धारा को ले जाएंगी।
इस समय तक पहुंचेगा मानसून: यहां से मानसून की बागडोर अगले परिसंचरण को सौंप दी जाएगी, जो दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश और उत्तर मध्य प्रदेश पर है। इस प्रणाली को पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तरी मध्य प्रदेश, दिल्ली, उत्तराखंड, पंजाब और हरियाणा की तलहटी में मानसून की धारा को मजबूत करने के लिए पंजाब, उत्तरी राजस्थान और पाकिस्तान क्षेत्र पर एक और परिसंचरण का समर्थन मिलेगा। जून के आखिर तक मानसून इन भागों में पहुंच जाएगा, कुछ हिस्सों में यह निर्धारित समय से थोड़ा आगे हो सकता है। अगर सब कुछ ठीक रहा, तो पिछले साल की तरह इस साल भी मानसून समय से पहले दस्तक दे सकता है, राजस्थान में अंतिम चरण तक।