समुद्र तट के दोनों ओर दक्षिण-पश्चिम मानसून की बढ़त धीमी रही है। बंगाल की खाड़ी से मानसून की पूर्वी शाखा, पूर्वोत्तर भारत में आने के बाद तुरंत रुक गई और आगे नहीं बढ़ रही है। यह शाखा अभी तक फिर सक्रिय नहीं हुई है। दूसरी तरफ अरब सागर से मानसून की पश्चिमी शाखा पश्चिमी तट के साथ-साथ मुंबई तक पहुंचकर धीमी हो गई और वहीं रुक गई। फिलहाल, मानसून तय समय से पीछे है और अभी तक देश के लगभग आधे हिस्सों को भी कवर नहीं कर पाया है।
इस दिन दिल्ली में मानसून: देरी और भारी कमी के बावजूद मानसून के अगले 10 दिनों में तेजी से आगे बढ़ने की परिस्थतियाँ बन रही हैं। इसके चलते मानसून के समय पर दिल्ली में पहुंचने की संभावना है। संशोधित कार्यक्रम के अनुसार, मानसून 27 जून को दिल्ली पहुंचेगा। +/- 48 घंटे की मार्जिन त्रुटि को हमेशा सही आगमन माना जाता है। इसका मतलब है मानसून अपनी तय तारीख से 48 घंटे पहले या बाद में भी आ सकता है, जो सही माना जाता है। वहीं, दिल्ली में मानसून की गति तेज होने की उम्मीद है, जो 28/29 जून के आसपास किसी भी समय पहुंच सकता है।
ऐसी बन रही मौसम प्रणाली: अगले लगभग तीन दिनों में इंडो गंगा के मैदानी इलाकों में चक्रवाती परिसंचरण की एक श्रृंखला आने की संभावना है। 27 जून को पंजाब, उत्तरी राजस्थान और आसपास के पाकिस्तानी क्षेत्रों मे छोटे पैमाने पर परिसंचरण होने की उम्मीद है। साथ ही, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के तटीय हिस्सों में एक लंबे-चौड़े चक्रवाती परिसंचरण के आसार हैं। दक्षिण-पश्चिम यूपी और उत्तरी एमपी पर एक अंतर्निहित परिसंचरण के साथ, एक पूर्व-पश्चिम ट्रफ रेखा इन दो विशेषताओं से जुड़ जाएगी। इन तीनों विशेषताओं का समूह इंडो गंगा के मैदानों पर मानसून की पूर्वी प्रवाह को मजबूत करेगा, यह उत्तरी हिस्सों में मौसमी बारिश और मानसून ट्रफ को मजबूत करने का मुख्य चालक है।
अगले 3-4 दिनों में दिल्ली का मौसम: मानसून के आने से पहले ही दिल्ली/NCR से हीटवेव खत्म हो चुकी है। पिछले दो दिनों से दिल्ली में दिन का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से कम दर्ज किया गया है। मानसून आने तक इसी तरह का मौसम रहने की संभावना है। अधिकतम तापमान 40°C की सीमा से लगभग एक डिग्री या उससे भी अधिक हो सकता है। वहीं, दिल्ली में मानसून के आने तक लगातार प्री-मानसून गतिविधियाँ होने के स्थिति काफी अनुकूल है। अगले कुछ दिनों में 24 से 27 जून के बीच रुक-रुक कर बारिश, आंधी/धूल भरी आंधी, गरज के साथ तेज धूल भरी हवाएं चल सकती हैं। इस तरह की मौसम गतिविधियाँ हमेशा मानसून के आने से पहले होती हैं।
फोटो क्रेडिट: एएफपी