दक्षिण प्रायद्वीप(दक्षिण भारत) में जुलाई के महीने में अब तक सक्रिय मानसून की स्थिति देखी गई है। अधिकांश राज्य और उपखंडों में बारिश की अधिकता है। बता दें, दक्षिण भारत समरूप क्षेत्र के रूप में सबसे अधिक बारिश वाला क्षेत्र है। यहां 01 जून से 22 जून 2024 के बीच 27% अधिक बारिश हुई है। जिसमें सबसे ज्यादा आंध्रप्रदेश में 60% और तमिलनाडु में 74% ज्यादा बरसात हुई है। वहीं, केरल राज्य जहां एक समय पर 40% से अधिक बारिश का घाटा था। वहां, भारी बारिश के बाद इस घाटे में काफी सुधार हुआ है। केरल में बारिश की कमी अब 22 जुलाई तक -13% तक सीमित है।
ऐसी बन रही मौसम प्रणाली: फिलहाल, ताजा बारिश की गतिविधि बढ़ने की संभावना नहीं है। बंगाल की खाड़ी के ऊपर आने वाला चक्रवाती परिसंचरण हल्का है। तटीय गुजरात से केरल तक अपतटीय ट्रफ कमजोर हो गई है। इस ट्रफ का असर केरल में सबसे कम है और तटीय कर्नाटक में इसकी तीव्रता हल्की है। कोंकण, गोवा और दक्षिण तटीय गुजरात में अभी भी ट्रफ की मध्यम गतिविधि(बारिश) जारी है।
कर्नाटक में बारिश के आसार: इनमें से अधिकांश उपसंभागों में अगले लगभग एक सप्ताह तक कम बारिश होगी। कमजोर मानसून का दौर आगे भी बढ़ सकता है। दक्षिणी तटीय आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और रायलसीमा में सबसे कम बारिश होने की उम्मीद है। वहीं, दक्षिण और उत्तर आंतरिक कर्नाटक में हल्की वर्षा देखी जाएगी। केरल के अधिकांश हिस्सों में मानसून का प्रवाह हल्का रहेगा। हालांकि, कन्नूर और कोझिकोड जैसे दूर के उत्तरी हिस्सों में अभी भी कुछ मध्यम बारिश हो सकती है। इन सभी इलाकों में से तटीय कर्नाटक में मानसून की गतिविधि ज्यादा सक्रिय रहेगी। कारवार, होनावर और मैंगलोर में मध्यम बारिश की उम्मीद है।
दक्षिण भारत में कमजोर मानसून: हल्की गतिविधि के कारण अब तक दर्ज की गई ज्यादा बारिश का मार्जिन कम हो जाएगा। वर्षा की गतिविधि केवल तटीय क्षेत्रों में मानसून मजबूत होने से ही बढ़ेगी। वहीं, पश्चिमी घाट पर मौसमी ट्रफ़ के सक्रिय होने में एक सप्ताह से अधिक समय लगेगा। दक्षिण प्रायद्वीपीय भारत में सामान्य से कमजोर मानसून की स्थिति का पूर्वानुमान है।
फोटो क्रेडिट: पीटीआई