दक्षिण-पश्चिम मानसून ने तय तारीख से थोड़ा पहले केरल में दस्तक दे दी थी। बता दें, केरल में मानसून 30 मई 2024 को आ गया था। मानसून आने की बाद केरल में शुरुआती दौर में लगभग 72 घंटों तक अच्छी बारिश हुई थी। वहीं, पिछले 3 दिनों में बारिश की तीव्रता औऱ प्रसार में काफी कमी आई है। मानसून सीज़न के पहले पांच दिनों में केरल में 12 % से अधिक बारिश की कमी है। इससे पहले जून की शुरुआत में पहले दो दिनों में 32% अधिक बारिश दर्ज की गई थी। वहीं, अगले एक सप्ताह में बारिश की कमी बढ़ सकती है।
जून-जुलाई होती है दोगुनी बारिश: केरल में मानसून आने के बाद भारी बारिश होती है। अगर इस दौरान बारिश में कोई ब्रक लगता है, तो वह बहुत ही छोटा और सुखद होता है। बाकी राज्य के ज्यादातर हिस्सों में नियमित तौर पर लगभग हर दिन बारिश होती है। जानकारी के लिए बता दें, भारी और व्यापक बारिश मानसून के शुरुआती चरण का पर्याय है। अगस्त और सिंतबर दोनों महीनों की तुलना में दोगुनी बारिश जून और जुलाई महीने में होती है। दरअसल, सितंबर में बारिश काफी कम हो जाती है और इस महीने में सामान्य तौर पर महज 271.8 मिमी बारिश होती है। केरल में जबकि चार महीने का मौसमी बारिश का कोटा 2000 मिमी से अधिक होता है।
केरल में सामान्य से कम बारिश: केरल में मानसून के दौरान बारिश होती है, जब अरब सागर के किनारे मानसूनी लहर तेज होती है। इसके अलावा, जब बंगाल की खाड़ी में मानसून कम दबाव या अवसाद बनता है, तो मानसून की धारा तट के साथ मजबूत हो जाती है। ये दोनों परिस्थितियां अभी शांत हैं, इनके अगले एक सप्ताह या इससे भी अधिक समय तक बढ़ने की संभावना नहीं है। बता दें, जून महीने के दौरान होने वाली किसी भी बड़ी कमी (बारिश की कमी) को बाद में पूरा करना मुश्किल हो जाता है, जैसे पिछले साल हुआ था। जून 2023 में केरल में 60% की भारी कमी रही और सीज़न 34% बारिश की कमी के साथ समाप्त हुआ।
फोटो क्रेडिट: पीटीआई