उत्तर भारत इस साल लगातार कमजोर मानसून से जूझ रहा है। 1 जून से 25 जुलाई के बीच इस क्षेत्र में 16% वर्षा की कमी रही है। हरियाणा और पंजाब जैसे राज्य विशेष रूप से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, जहां क्रमशः 40% और 44% बारिश की कमी है। चंडीगढ़ भी 57% की कमी के साथ गंभीर सूखे जैसी स्थिति का सामना कर रहा है। जबकि दिल्ली में स्थिति थोड़ी बेहतर है, यहाँ 3% की कमी है, लेकिन दिल्ली की भी पूरी तस्वीर चिंताजनक है। वहीं, उत्तर भारत में लद्दाख एक अपवाद है, जहाँ 48% बारिश की अधिकता रही है। हालांकि, उत्तर भारत के बाकी हिस्सों में गर्म और आर्द्र परिस्थितियाँ चिंता का कारण बनी हुई हैं।
मानसून सक्रिय होने के आसार: लेकिन, क्षितिज पर एक आशा की किरण है। आखिरकार मानसून दोबारा सक्रिय होने के संकेत दे रहा है। है। मानसून की अक्ष रेखा अब अपनी सामान्य स्थिति की ओर उत्तर की ओर शिफ्ट हो रही है। मानसून की स्थिति में यह विकास अगले 4-5 दिनों तक बने रहने की उम्मीद है। इसके अलावा, एक कमजोर पश्चिमी विक्षोभ पश्चिमी हिमालय पर मंडरा रहा है, जबकि उत्तर-पश्चिमी उत्तर प्रदेश पर एक चक्रवाती परिसंचरण बना हुआ है।
तेज बारिश से मिलेगी राहत: इन मौसम प्रणालियों के संयुक्त प्रभाव से पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बारिश बढ़ने की संभावना है। स्काईमेट ने कम से कम अगले सप्ताह के लिए पश्चिमी हिमालय सहित पूरे उत्तर पश्चिम भारत में सक्रिय मानसून की स्थिति का अनुमान लगाया है। बारिश से उत्तर भारत में परेशान करने वाली भीषण गर्मी और उमस से राहत मिलने की उम्मीद है। जैसे-जैसे बारिश का दौर आगे बढ़ेगा, वैसे-वैसे बारिश की कमी काफी हद तक कम होने की संभावना है। जिससे उत्तर भारत में मानसून की स्थिति में सुधार होगा। हालांकि आगामी बारिश निश्चित रूप से स्वागत योग्य है। लेकिन मौसम संबंधी किसी भी संभावित चुनौती के लिए सतर्क और तैयार रहने की जरूरत है।