इस बार मानसून के दौरान गुजरात में कम बारिश देखने को मिली है। 10 सितंबर तक, सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र में वर्षा की कमी, 28% तक बढ़ चुकी थी, जबकि गुजरात क्षेत्र में वर्षा की कमी का आंकड़ा 21% है।
गुजरात में मानसून का आगमन देर से हुआ और इसलिए यहां शुरू से ही वर्षा की कमी देखी जा रही है। हालांकि, अगस्त के दूसरे और तीसरे सप्ताह के दौरान हुयी मध्यम से भारी बारिश ने, ना सिर्फ घाटे के आंकड़े की भरपाई की, बल्कि राज्य, बारिश अधिशेष की स्थिति में पहुंच गया।
इसके बाद, मानसून पूरे राज्य में कमजोर पड़ गया और केवल दक्षिणी और पूर्वी जिलों में ही कुछ दिनों के अंतराल पर बारिश होती रही। इसके साथ ही ये पश्चिमी राज्य, एक बार फिर से, वर्षा की कमी वाले राज्यों में शुमार हो गया।
सितंबर के वर्त्तमान महीने के दौरान भी हालात में कोई खास तबदीली नहीं आयी और पिछले 24 घंटों के दौरान, केवल अलग-अलग जगहों पर हल्की बारिश दर्ज की गई है। अमरेली में 5 मिमी वर्षा दर्ज की गयी, जबकि भुज में 2 मिमी और राजकोट में मात्र 1 मिमी बारिश हुयी।
चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र की वजह से ये बारिश हुयी है जो गुजरात के उत्तरी इलाकों और उससे सटे राजस्थान में बना हुआ है।
स्काईमेट वेदर के अनुसार, अब यह मौसमी प्रणाली कमजोर हो गई है। इस प्रकार, गुजरात में एक बार फिर शुष्क मौसम देखने को मिल सकता है।
हालांकि, कहीं-कहीं पर हल्की बारिश से इंकार नहीं किया जा सकता। लेकिन इन बौछारों की वजह से बारिश की कमी में कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं होगा। इस प्रकार हम कह सकते हैं कि बारिश की कमी के साथ ही मानसून, गुजरात से विदाई के लिए तैयार है।