मध्य प्रदेश के पश्चिमी जिलों में 20% की अतिरिक्त वर्षा हुई है। पश्चिमी मध्य प्रदेश में 9% की कमी है। बंगाल की खाड़ी के ऊपर विकसित होने वाले निम्न दबाव के क्षेत्रों ने पश्चिम दिशा में दक्षिण-पश्चिम और पश्चिम मध्य प्रदेश की ओर अग्रसर हुए, जिससे राज्य के पश्चिमी जिलों में भारी बारिश के साथ बाढ़ जैसी स्थिति बनी।
जुलाई के अंतिम सप्ताह के दौरान मध्य प्रदेश के पश्चिमी हिस्सों में भारी बारिश हुई और अगस्त की प्रारंभिक दिनों तक जारी रही।मध्य प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों का मौसम पिछले 2 से 3 दिनों से शुष्क बना हुआ है। हालांकि पूर्वी और उत्तर-पूर्वी गांव में हल्की से मध्यम बारिश जारी रही है। मॉनसून की बारिश एक बार फिर से शुरू होने की उम्मीद है क्योंकि 16 या 17 अगस्त तक पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी के ऊपर कम दबाव का क्षेत्र विकसित होने की संभावना है।
यह दक्षिण छत्तीसगढ़ तथा दक्षिणी मध्य प्रदेश होते हुए पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ेगा। राज्य के पूर्वी हिस्सों और दक्षिण पूर्वी हिस्सों में 15 और 16 अगस्त को बारिश बढ़ेगी। इसके बाद यह 17 से 21 अगस्त के बीच पूरे राज्य को कवर करेगा, हम कह सकते हैं कि पूरे मध्य प्रदेश में मानसून एक बार फिर से पुनर्जीवित होने वाला है।
उत्तरी जिलों जैसे ग्वालियर मुरैना दतिया टीकमगढ़ में में हल्की बारिश दर्ज की जाएगी, लेकिन अन्य हिस्सों में व्यापक बारिश और गरज के साथ बौछारें पड़ेंगी। हल्की बाढ़ की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। इस मानसून के दौरान मध्य प्रदेश देश के मध्य भाग में सबसे अधिक बारिश वाला राज्य होने जा रहा है।