उत्तर पश्चिमी भारत और मध्य भारत के आसपास के हिस्सों में बीते 3 से 4 दिनों से ब्रेक मानसून जैसी स्थिति बनी हुई है। मॉनसूनी ट्रफ रेखा का पश्चिमी सिरा हिमालय की तलहटी में थी। उत्तर पश्चिम और इससे सटे पश्चिमी मध्य बंगाल की खाड़ी पर एक निम्न दबाव का क्षेत्र बना हुआ है।
यह पश्चिमी दिशा में तटीय आंध्र प्रदेश और दक्षिण छत्तीसगढ़ होते हुए विदर्भ की ओर बढ़ेगा। मॉनसून की अक्षीय रेखा का पश्चिमी छोर भी दक्षिण की ओर बढ़ जाएगा, जिससे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और मध्य प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में मॉनसून की बारिश फिर से शुरू हो जाएगी।
मध्य प्रदेश पर बना हुआ निम्न दबाव का क्षेत्र 31 अगस्त तक कमजोर हो जाएगा और यह एक चक्रवाती हवाओं के खेत्र में बदल जाएगा। तब तक मध्य प्रदेश के पश्चिमी जिलों, पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान और गुजरात के कुछ हिस्सों में बारिश शुरू हो सकती है।
1 सितंबर से 3 सितंबर के बीच पूर्वी और दक्षिणी राजस्थान और गुजरात के कई हिस्सों में बारिश हो सकती है। मध्य प्रदेश के उज्जैन, रतलाम, नीमच, धार, खंडवा, खरगोन, भोपाल, इंदौर, बड़वानी, गुना और शाजापुर जिले में फिर से मानसून की बारिश बढ़ सकती है। इसी तरह राजस्थान के सवाई माधोपुर, बूंदी, कोटा, झालावाड़, चित्तौड़गढ़, प्रतापगढ़, बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर, राजसमंद, पाली, जालोर, बाड़मेर, जोधपुर और सिरोही जिलों में भी बारिश की गतिविधियां हो सकती हैं। इस दौरान गुजरात के जिलों में भी मानसूनी बारिश होने की संभावना है।