जून के पहले पखवाड़े में दक्षिण पश्चिम मानसून ने बहुत ही अच्छा प्रदर्शन किया। 1 जून से 20 जून के बीच पूरे भारत को सामान्य से 41% अधिक वर्षा प्राप्त हो चुकी थी। मानसून के तेजी पकड़ने के पीछे उत्तरी बंगाल की खाड़ी में बनने वाला निम्न दबाव का क्षेत्र रहा। गंगा पश्चिम बंगाल तथा उड़ीसा के तट पर बनने वाले निम्न दबाव का क्षेत्र के प्रभाव से उत्तर पूर्वी भारत सहित पश्चिम बंगाल उड़ीसा बिहार तथा झारखंड में भारी बारिश हुई तथा मानसून इन सभी राज्यों में समय से पहले आगे बढ़ा। इस निम्न दबाव के प्रभाव से देश के पश्चिमी तट पर भी अरब सागर से आने वाली नम हवाओं का वेग बढ़ा। इसलिए देश के पश्चिमी तटों पर भी मानसून ने अपना अच्छा प्रदर्शन जारी रखा। तथा मानसून मुंबई सहित गुजरात के दक्षिणी भागों में भी समय से पहले ही पहुंच गया।
पिछले चौबीस घंटों के दौरान मानसून की बारिश में कमी देखी गई तथा 21 जून को पूरे देश को सामान्य से 22% कम वर्षा प्राप्त हुई। इसके कारण केवल 24 घंटों में ही मानसून 41% से 37% पर आ गया। अब निम्न दबाव की रेखा हिमालय की तलहटी की ओर सड़क गई है जिसके प्रभाव से उत्तर पश्चिम, पूर्व तथा मध्य भारत में पश्चिम दिशा से शुष्क हवाएं जारी रहेंगी। इन शुष्क हवाओं के प्रभाव से मानसून अब आगे नहीं बढ़ पाएगा। राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार तथा झारखंड में जारी भारी वर्षा में अब कमी आ जाएगी। अगले लगभग 1 सप्ताह तक दक्षिण पश्चिमी मानसून अपने रोज की सामान्य वर्षा को भी पूरा नहीं कर पाएगा। इसलिए संपूर्ण भारत में जो मानसून की बढ़त है वह अब जून के आखिर तक धीरे-धीरे कम होती रहेगी।
दिल्ली में मानसून 27 जून के आसपास पहुंच जाता है। इस बार परिस्थितियां अनुकूल न होने के कारण दिल्ली सहित पंजाब और हरियाणा के दक्षिणी जिलों और राजस्थान के उत्तर पश्चिमी भागों में मानसून देरी से पहुंचने की संभावना दिखाई दे रही है। हालांकि 25 से 27 जून के बीच उत्तर भारत में गरज चमक के साथ बारिश की गतिविधियां संभव है, परंतु यह मानसून की वर्षा नहीं होगी। अगले कुछ दिनों के दौरान मुंबई सहित महाराष्ट्र के भी कई भागों में बारिश बहुत हल्की रहेगी तथा तापमान में वृद्धि संभव है। दिल्ली सहित उत्तर पश्चिम भारत में अगले कुछ दिनों के दौरान गर्मी और उमस बढ़ने की संभावना है।