दक्षिण-पश्चिम मानसून सितंबर के मध्य तक पश्चिमी राजस्थान में अपने अंतिम चरण पर पहुँच जाता है। बता दें, पहले पश्चिमी राजस्थान से मानसून की वापसी की निर्धारित तारीख 01 सितंबर थी, लेकिन 1971 से 2019 तक के आंकड़ों के आधार पर साल 2020 में मानसून की विदाई की तारीख में बदलाव किया गया। जिसमें देश के अधिकांश हिस्सों से मानसूनी वापसी की तारीखों में 7-14 दिनों की देरी हुई थी। अब नई तारीखों के अनुसार, 17 सितंबर से पश्चिमी राजस्थान से मानसून की वापसी शुरू होती है। बता दें, राजस्थान से मानसून की वापसी का देश के अन्य हिस्सों से मानसून की वापसी का कोई संबंध नहीं है।
मानसून की वापसी में देरी: पिछले कुछ सालों में मानसून की वापसी में देरी देखी गई है। जैसा कि पिछले सात सालों में देखा गया है कि 2017 के बाद से साल 2022 में सबसे जल्दी मानसून की वापसी 20 सितंबर को हुई थी। वहीं, 2021 में 6 अक्टूबर को सबसे देर से मानसून की वापसी हुई थी। पिछले साल 2023 में 25 सितंबर को मानसून की वापसी धीमी गति से शुरू हुई थी। जिसमें दिल्ली से मानसून की अंतिम विदाई अक्टूबर के पहले सप्ताह में हुई थी। बता दें, जबकि दिल्ली से मानसूनी वापसी की सामान्य तिथि 2 सिंतबर है। वहीं, पूरे देश से मानसून की वापसी 19 अक्टूबर को पूरी हुई थी, और यह लगभग उसी समय हुई जब दक्षिणी प्रायद्वीप(दक्षिण भारत) में पूर्वोत्तर मानसून की शुरुआत हुई।
राजस्थान से मानसून की वापसी और शर्तें: पश्चिमी राजस्थान से मानसून की वापसी की घोषणा 1 सितंबर से पहले नहीं की जाती है। इसके बाद, कुछ मौसम संबंधी शर्तों के पूरा होने पर ही मानसून की वापसी की घोषणा की जाती है। ये शर्तें इस प्रकार हैं:
- लगातार 5 दिनों तक बारिश की गतिविधि बंद होनी चाहिए।
-निचले वायुमंडल में 5000 फीट तक एंटीसाइक्लोन (वायुमंडलीय उच्च दबाव क्षेत्र) का गठन होना चाहिए।
-सैटेलाइट इमेजरी से नमी की कमी दिखाई देनी चाहिए।
व्यापक मौसमी विशेषताएँ: मौसम वैज्ञानिकों द्वारा मानसून वापसी की घोषणा करने से पहले व्यापक मौसमी विशेषताएँ भी देखी जाती हैं, खासकर ऊपरी वायुमंडल में। जैसे:
-तिब्बती एंटीसाइक्लोन, जो सक्रिय मानसून के दौरान मजबूत रहता है, अब कमजोर हो रहा है।
-ऊपरी वायुमंडल में भारत के उपमहाद्वीप पर पूर्वी हवाओं का विस्तार कम हो रहा है।
-प्रायद्वीपीय भारत के ऊपर पूर्वी जेट स्ट्रीम की ताकत कम हो रही है।
-उत्तर भारत में उप-उष्णकटिबंधीय वायुमार्ग (जेट स्ट्रीम) दिखाई देने लगता है।
-उप-उष्णकटिबंधीय रिज उत्तर भारत में मजबूत होती है।
मानसून की वापसी का संकेत: तिब्बती एंटीसाइक्लोन कमजोर हो रहा है और उत्तर-पूर्व भारत की ओर खिसक रहा है। वहीं, उत्तर भारत में पश्चिमी हवाओं का प्रभाव बढ़ गया है। पश्चिमी राजस्थान और आसपास के मध्य पाकिस्तान क्षेत्र में एंटीसाइक्लोनिक पैटर्न बन रहा है। सूखी उत्तर-पश्चिमी हवाएँ पश्चिमी राजस्थान में प्रवेश कर चुकी हैं और इससे नमी के स्तर में कमी आएगी। जैसलमेर, बाड़मेर, फलौदी और बीकानेर में पिछले कुछ दिनों से बारिश नहीं हुई है। वहीं, अगले कुछ दिनों में भी बारिश की संभावना नहीं है।
मानसून सिस्टम का रुख और प्रभाव: उत्तर मध्य प्रदेश में स्थित मानसून प्रणाली के राजस्थान की ओर बढ़ने की संभावना नहीं है। यह प्रणाली अब उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार की ओर मुड़ने के संकेत दे रही है और वहीं पर कमजोर हो जाएगी। मानसून वापसी के समय, मौसम प्रणालियों का यह रुख वापसी की रेखा को चिह्नित करता है और इसके बाद आने वाली प्रणालियाँ इस रेखा से आगे नहीं जातीं।
मानसून की वापसी समय पर: मौजूदा मौसमी बदलावों और मानसून अवसाद के मार्ग को देखते हुए, मानसून की वापसी समय पर होने की संभावना है। हालांकि, मानसून की वापसी का मतलब यह नहीं है कि किसी विशेष भौगोलिक क्षेत्र में बारिश पूरी तरह बंद हो जाएगी। इसका मतलब केवल यह है कि मानसून की वापसी (विदाई) कभी भी शुरू हो सकती है।