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[Hindi] मॉनसून 2019: अरब सागर में और गहराया निम्न दबाव का क्षेत्र, चक्रवात बनने की पूरी संभावना

June 9, 2019 1:30 AM |

Updated on June 9, 2019 12 PM: मॉनसून 2019: अरब सागर में निम्न दबाव गहराया, बन सकता है चक्रवाती तूफान

अरब सागर पर बना निम्न दबाव का क्षेत्र लगातार प्रभावी हो रहा है। पिछले 24 घंटों के दौरान यह सिस्टम सशक्त हुआ है। हालांकि इस दौरान यह अपनी जगह पर बना रहा लेकिन बादलों की वर्तमान स्थिति संकेत कर रही है कि यह और सशक्त होता जा रहा है। स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों के अनुसार अगले 24 से 36 घंटों के दौरान यह सिस्टम डिप्रेशन बन जाएगा।

केरल में मॉनसून के आगमन के बाद इस सिस्टम ने केरल में पिछले 24 घंटों के दौरान कई स्थानों पर अच्छी बारिश दी है। कुछ जगहों पर भारी वर्षा भी रिकॉर्ड की गई है। शनिवार की सुबह 8:30 बजे से पिछले 24 घंटों के दौरान अलापुझा में 66 मिमी की मूसलाधार बारिश हुई है। तिरुवनंतपुरम में 32 मिमी, वोइकोम में 24 मिमी, कोची में 23 मिमी, मन्नार में 22 मिमी और पुनालूर में 12 मिमी बारिश दर्ज की गई।

लक्षद्वीप में भी उम्मीद के मुताबिक मध्यम से भारी बारिश रिकॉर्ड की गई। अगति में 56 मिमी, मिनीकॉय में 10 और अमिनी में 8 मिमी बारिश दर्ज की गई। निम्न दबाव का क्षेत्र अगले 24 घंटों तक लक्षद्वीप के पास ही बना रहेगा जिसके कारण केरल के शहरों में अगले 24 घंटों तक मध्यम से भारी बारिश जारी रहेगी। उसके बाद बारिश में कमी आ जाएगी।

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार जैसे-जैसे यह सिस्टम प्रभावी होता जाएगा यह उत्तर और उत्तर-पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ेगा। यह संभावित चक्रवाती तूफान पिछले वर्ष आए मेकुनु तूफान के जैसा ही होगा। मेकुनु के कारण 2018 में भी मॉनसून के आने में देरी हुई थी और इसके आगे बढ़ने की रफ्तार प्रभावित हुई थी। मेकुनु भी इसी तरह जून में विकसित हुआ था।

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मेकुनु और वर्तमान में संभावित चक्रवाती तूफान में सिर्फ दिशाओं का अंतर होगा। जहां मेकुनु पश्चिमी दिशा में समाली और ओमान के तटों के पास गया था वहीं वर्तमान में विकसित हो रहा चक्रवाती तूफान जिसे वायु नाम दिया जाएगा, उत्तर और उत्तर-पश्चिमी दिशा की तरफ बढ़ रहा है। इसके कराची के रास्ते पाकिस्तान में लैंडफॉल करने की संभावना है। यह सिस्टम गुजरात के तटों को भी प्रभावित करेगा।

Originally published on June9, 2019 at 04:00 PM मॉनसून 2019: अरब सागर पर विकसित हो रहा चक्रवाती तूफान, बिगाड़ सकता है मॉनसून की चाल

अरब सागर के दक्षिण पूर्वी भागों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र विकसित हुआ है। यह सिस्टम केरल और तमिलनाडु में मॉनसून 2019 को आगे लाने में अहम रहा है। यह अब निम्न दबाव का क्षेत्र बन गया गई। संभावना है कि अगले 24 घंटों में और प्रभावी होगा। इस समय यह पूर्वी तथा मध्य पूर्व अरब सागर पर स्थित है।

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार निम्न दबाव का क्षेत्र उत्तर पश्चिमी दिशा में आगे बढ़ेगा। सामुद्रिक स्थितियां इसके अनुकूल बनी रहेंगी जिसके कारण लगातार प्रभावी होता जाएगा। इसी कारण यह सिस्टम चक्रवाती तूफान बन सकता है। मौसम विशेषज्ञों के अनुसार इसे लंबा जल क्षेत्र मिलेगा, समुद्र की सतह का तापमान अनुकूल है, जो 30 डिग्री सेल्सियस के आसपास है और वर्टिकल विंडशियर नीचे है।

अनुमान है कि अगले 24 घंटों में यह गहरे निम्न दबाव का क्षेत्र बनेगा और उसके बाद डिप्रेशन का रूप ले लेगा। हालांकि यह सिस्टम चक्रवाती तूफान बनेगा और उसके बाद यह भीषण चक्रवात का रूप ले सकता है। हालांकि इसकी क्षमता और दिशा के बारे में सटीक अनुमान लगाने के लिए और इंतजार करना होगा।

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार तूफान उत्तर और उत्तर-पश्चिमी दिशा में जाएगा। यह भारत के पश्चिमी तटों के समानांतर चलेगा लेकिन पश्चिमी तटों से इसकी दूरी काफी अधिक होगी। इसलिए भारत के तट पर इससे कोई खतरा नहीं है। हालांकि इसके कारण केरल से लेकर कोंकण गोवा क्षेत्र सहित मुंबई और आसपास के तटीय शहरों में बारिश होगी। यह सिस्टम मुंबई और आसपास के शहरों में 11 और 12 जून को बारिश दे सकता है।

चक्रवाती तूफान गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र विशेषकर तटीय भागों के लिए कुछ चिंता पैदा कर सकता है। हालांकि इसके भारत के तटीय भागों में आने की आशंका नहीं है। यह कराची के रास्ते पाकिस्तान में दस्तक दे सकता है। लेकिन जैसे ही सिस्टम उत्तरी अरब सागर में पहुंचेगा इसकी क्षमता कमजोर होने लगेगी क्योंकि उत्तरी अरब सागर में समुद्र की सतह का तापमान कम है।

अगर चक्रवात विकसित होता है तो यह सीजन का तीसरा साइक्लोन होगा और अरब सागर का पहला चक्रवाती तूफान होगा। आमतौर पर मॉनसून सीज़न में चक्रवाती तूफान कम विकसित होते हैं। लेकिन जब मॉनसून कमजोर हो तो ऐसे में तूफान विकसित होने के आसार बन जाते हैं। चक्रवाती तूफान को ‘वायु’ नाम दिया जाएगा। इससे पहले बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान आया था जिसे फनी नाम दिया गया था और उसने ओड़ीशा के तटों पर लैंडफॉल किया था।

अरब सागर में विकसित हो इस चक्रवाती तूफान को भारत के मॉनसून को कमजोर करने का दोषी माना जा सकता है। मॉनसून पहले ही एक हफ्ते की देरी से केरल पहुंचा है और अब इसे चक्रवात कमजोर करेगा।

जैसे-जैसे यह सिस्टम प्रभावी होता जाएगा मॉनसून की हवाओं को अपनी तरफ आकर्षित करेगा और दक्षिण भारत में पहुंच रही दक्षिण पश्चिमी आर्द्र हवाओं को कमज़ोर कर देगा। जिसके कारण बारिश की गतिविधियां तटीय क्षेत्रों तक ही सीमित रह जाएंगी। इससे जहां पश्चिमी तटों पर और केरल में बारिश होगी वहीं पूर्वी तटों पर खासकर तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश में मॉनसून अच्छा प्रदर्शन नहीं करेगा।

Image credit: DailyMail

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