बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिमी इलाकों पर निम्न दबाव का क्षेत्र ओडिशा तट को पार कर गया है। यह मौसमी सिस्टम आंतरिक ओडिशा, दक्षिण झारखंड और इससे सटे छत्तीसगढ़ के इलाकों पर स्थित है। चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र मध्य क्षोभमंडल स्तर तक बढ़ता रहता है और ऊंचाई के साथ दक्षिण की ओर झुकता है। मौसमी सिस्टम पश्चिम उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ेगी और अगले 24 घंटों में पूर्वी मध्य प्रदेश में पहुंच जाएगी। निम्न दबाव का क्षेत्र उत्तर मध्य प्रदेश और दक्षिण पश्चिम उत्तर प्रदेश पर पहुँचने होने से पहले धीरे-धीरे आगे बढ़ेगा।
निम्न दबाव के क्षेत्र के कारण पहले ही उत्तरी ओडिशा, गंगीय पश्चिम बंगाल और दक्षिण झारखंड में मध्यम बारिश और गरज के साथ बारिश देखने को मिली हैं। पिछले 24 घंटों के दौरान भी इन मौसमी सिस्टम के केंद्र के आगे बने हुए कोन्फ़्लुएन्स जोन ने छत्तीसगढ़, उत्तरी तेलंगाना, दक्षिण मध्य प्रदेश, उत्तरी महाराष्ट्र और गुजरात के कई हिस्सों में गरज के साथ मध्यम से भारी बारिश की है। इसके अलावा, बिहार और उत्तर प्रदेश की तलहटी में भी छिटपुट बारिश हुई और फोर्ब्सगंज, सुपौल और वाराणसी जैसे कुछ स्थानों पर तेज बारिश हुई।
स्काइमेट के मौसमी विज्ञानियों के अनुसार, अगस्त का पहला निम्न दबाव क्षेत्र उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ना जारी रखेगा और मानसून के पश्चिमी छोर को अपनी सामान्य स्थिति से दक्षिण की ओर खींचेगा। मॉनसूनी ट्रफ रेखा 20 और 21 अगस्त को दिल्ली के दक्षिण में और उत्तर मध्य प्रदेश और दक्षिण-पश्चिम उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों पर बनेगी। इस दौरान दिल्ली, आगरा, मथुरा, ग्वालियर, गुना, शिवपुरी, दतिया, मुरैना, श्योपुर, भिंड और अशोकनगर में भारी बारिश की संभावना है। राष्ट्रीय राजधानी से सटे राज्यों जैसे हरियाणा और राजस्थान के कुछ हिस्सों में भी रुक-रुक कर तेज बारिश होगी।
उत्तर भारत में पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से बारिश के अभाव में, दिन का तापमान 30 डिग्री तक पहुंच गया और यहां तक कि चुरू और गंगानगर जैसे कुछ स्थानों पर तापमान 40 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। दिल्ली के सफदरजंग ने कल यानि 17 अगस्त को अधिकतम तापमान 38 डिग्री सेल्सियस मापा। यह लगभग एक महीने के अंतराल के बाद हुआ क्योंकि शहर में पिछली बार 17 जुलाई को तापमान 38.8 डिग्री दर्ज किया गया था। बारिश का मौसम आने के साथ तापमान में 4-6 डिग्री सेल्सियस की गिरावट आने की संभावना है। दिल्ली और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बारिश के आंकड़ों की कमी आंशिक रूप से सुधर सकती है।