दक्षिण-पूर्व बंगाल की खाड़ी (BoB) पर चक्रवाती परिसंचरण के प्रभाव से एक निम्न दबाव क्षेत्र का निर्माण हुआ है। यह प्रणाली अब अधिक संगठित हो चुकी है और दक्षिण बंगाल की खाड़ी के मध्य भागों की ओर बढ़ गई है। इसके अगले 24 घंटों में और मजबूत होकर एक अवसाद या गहरे अवसाद में बदलने की संभावना है और यह पश्चिम-उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ते हुए श्रीलंका के पूर्वी तट के करीब, दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में पहुंचेगा।
भारी वर्षा समुद्री क्षेत्र तक सीमित: अत्यधिक भारी वर्षा का क्षेत्र अगले 36 घंटों तक समुद्री क्षेत्र तक सीमित रहेगा। इस अवधि में दक्षिणी तटीय आंध्र प्रदेश और तटीय तमिलनाडु में मध्यम बारिश और गरज के साथ बौछारें और कुछ स्थानों पर भारी वर्षा के साथ संभव हैं। पर्यावरणीय स्थितियां और समुद्री सतह का तापमान मौसम प्रणाली के और अधिक तीव्र होने के लिए अनुकूल हैं।
तमिलनाडु के तट पर तूफान: जल्द ही यह साफ हो जाएगा कि यह प्रणाली दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी में तमिलनाडु के तट के पास उष्णकटिबंधीय तूफान में बदल जाएगी। 15 अक्टूबर की रात से और 16 अक्टूबर तक दिन और रात के दौरान चेन्नई से लेकर कन्याकुमारी तक तमिलनाडु के तट पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है। तमिलनाडु के तट के मध्य हिस्सों जैसे पुडुचेरी, कराईकल, नागापट्टिनम, टोंडी, तूतीकोरिन जैसे क्षेत्रों में बाढ़ जैसी स्थिति का खतरा रहेगा। यह भारी बारिश का क्षेत्र राज्य के आंतरिक हिस्सों तक भी फैलेगा, जिसमें त्रिची, मदुरै, तंजावुर, इरोड, करूर, तिरुपुर, कोयंबटूर और ऊटी शामिल हैं।
दक्षिण प्रायद्वीप और केरल में व्यापक असर: यह अत्यधिक वर्षा क्षेत्र दक्षिण प्रायद्वीप के अधिकांश हिस्सों तक फैलेगा और 16 व 17 अक्टूबर को केरल के अधिकांश भागों में प्रभाव डालेगा। कोच्चि, कन्नूर, त्रिशूर, कोझिकोड, वायनाड और इडुक्की में इस अवधि के दौरान बहुत भारी और नुकसान पहुचांने वाली वर्षा होने की संभावना है। इसके अलावा, तटीय कर्नाटक और दक्षिण आंतरिक कर्नाटक में भी बिखरी हुई मध्यम से भारी वर्षा होगी। 16 और 17 अक्टूबर को बेंगलुरु, मैसूरु, मांड्या, मंगलुरु और कारवार में भी भारी बारिश की संभावना है। 18 अक्टूबर से मौसम में सुधार देखने को मिलेगा, जब यह मौसम प्रणाली दक्षिण प्रायद्वीप से होकर अरब सागर में प्रवेश करेगी।