एक चक्रवाती परिसंचरण दक्षिणपूर्व अरब सागर और लक्षद्वीप क्षेत्र पर मध्य-क्षोभमंडल स्तर तक फैला हुआ है। इसके प्रभाव से अगले 24 घंटों में इसी क्षेत्र में निम्न दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है। यह निम्न दबाव उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ेगा और मध्य अरब सागर तट से थोड़ा दूर शिफ्ट हो जाएगा। साथ ही, अगले 48 घंटों में इसके मजबूत होकर डिप्रेशन में बदलने की संभावना है।
मानसून विदाई के बाद पहला मानसून सिस्टम: दक्षिण-पश्चिम मानसून की विदाई के बाद यह पहली पोस्ट मानसून प्रणाली होगा, जो आने वाले मौसम के लिए गति देगी। अरब सागर में वातावरणीय परिस्थितियां इस प्रणाली के बने रहने के अनुकूल लग रही हैं, लेकिन इसके तेज़ी से तूफान बनने की संभावना कम है। यह सिस्टम तट रेखा से सुरक्षित दूरी पर रहेगा, जिससे किसी भी प्रकार के खतरनाक मौसम की स्थिति नहीं बनेगी। इसके साथ ही, 9 से 12 अक्टूबर के बीच पश्चिमी तट पर मौसम गतिविधि में तेजी आएगी।
खाड़ी में नई चक्रवाती प्रणाली के संकेत: एक और चक्रवाती परिसंचरण के संकेत हैं, जो अभी शुरुआती चरण में हैं। जिसके श्रीलंका और तमिलनाडु तट से दूर दक्षिण-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के ऊपर उभरने की संभावना है। इन दोनों मौसम प्रणालियों को जोड़ने वाली ट्रफ रेखा के कारण केरल और तमिलनाडु में 12 अक्टूबर के आसपास 3 दिनों के तक बारिश की गतिविधि बढ़ सकती है।
पश्चिमी तट पर भारी बारिश के आसार: आज केरल, तटीय कर्नाटक और गोवा में व्यापक बारिश और गरज के साथ बौछारें होने की संभावना है। मुंबई समेत कोंकण क्षेत्र में गतिविधियां कमजोर रह सकती हैं।10 और 11 अक्टूबर के बीच गुजरात के दक्षिण में पश्चिमी तट पर बारिश की तीव्रता और प्रसार बढ़ जाएगा। बंगाल की खाड़ी के दक्षिण-पश्चिम से आने वाली मौसम प्रणाली के प्रभाव से 12 से 14 अक्टूबर के बीच तमिलनाडु और केरल में मौसम गतिविधि में उछाल आएगा। इस दौरान गंभीर मौसम की स्थिति तमिलनाडु और केरल में देखी जा सकती है। यह प्रणाली भी आगे चलकर अरब सागर में प्रवेश करेगी और अधिक मजबूत हो सकती है। वहीं, 4-5 दिनों के बाद मौसम पूर्वानुमान की सटीकता में कमी आ जाती है, इसलिए आगे के पूर्वानुमान की व्यापक समीक्षा की आवश्यकता होगी।