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चक्रवात रेमल के कारण असम में बना कम दबाव क्षेत्र, पूर्वोत्तर राज्यों में बारिश की चेतावनी

May 29, 2024 6:42 PM |

चक्रवात 'रेमल' के अवशेष के रूप में चिह्नित निम्न दबाव का क्षेत्र और कमजोर हो गया है। अब यह ऊपरी असम और उसके आसपास के क्षेत्र में निम्न दबाव के क्षेत्र के रूप में स्थित है। चक्रवाती परिसंचरण मध्य क्षोभमंडल स्तर तक फैला हुआ है। इसी क्षेत्र में इसके कमजोर होने की संभावना है, लेकिन चक्रवाती परिसंचरण बना रहेगा। जिस कारण मौसम की गतिविधि(बारिश, आँधी, तेज हवाएं,) जारी रहेगी। हालांकि, पिछले दौर की तुलना में इस गतिविधि की तीव्रता कम होगी और यह लगभग एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक बनी रह सकती है।

मिजोरम में बारिश से नुकसान: भीषण चक्रवाती तूफान 'रेमल' का अवशेष पहले ही डिप्रेशन के रूप में मेघालय और असम क्षेत्र को पार कर चुका है। पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में खराब मौसम की स्थिति बनी हुई है। जिससे मिजोरम को बहुत भारी बारिश के प्रकोप का सामना करना पड़ा। मिजोरम में भारी बारिश से भूस्खलन हुआ जिससे जान-माल की भारी क्षति हुई। अभी भी मिजोरम में भारी बारिश जारी है, लेकिन इसकी तीव्रता और फैलाव कम हो गया है।

असम मेघालय में भारी बारिश के आसार: पिछले 24 घंटों में पूर्वोत्तर राज्यों के कई हिस्सों में तीन अंकों की बारिश दर्ज की गई है। चीरापूंजी में 182 मिमी, सिलचर में 146 मिमी, हाफलोंग में 148 मिमी, गोलपारा में 94 मिमी, इंफाल में 89 मिमी की बारिश दर्ज की गई। अगले लगभग एक सप्ताह तक व्यापक प्रसार के साथ मध्यम बारिश जारी रहेगी। इस दौरान खासकर असम और मेघालय में अलग-अलग समय पर भारी वर्षा की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है। साथ ही निचला असर ऐसी परिस्थितियों के लिए अत्यधिक संवेदनशील बना हुआ है।

पूर्वोत्तर में समय से पहले मानसून: बांग्लादेश के पार चक्रवात रेमल के गुजरने से बंगाल की खाड़ी के ऊपर मानसून वायु द्रव्यमान की गति निर्धारित हो गई है। पर्याप्त ताकत के साथ दक्षिण-पश्चिमी हवाएँ, बंगाल की खाड़ी से होकर असम घाटी और पहाड़ों में प्रवेश कर रही हैं। मौसम प्रणाली की इस विशेषता के कारण पूर्वोत्तर भारत में मानसून आने की संभावना है। मानसून पहले से निर्धारित समय से पहले पूर्वोत्तर भागों में पहुंच सकता है। इसका मतलब है कि मानसून के केरल में प्रवेश करने के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों में भी पहुंने के आसार हैं। बारिश का दौर लगभग सभी पूर्वोत्तर राज्यों में अब तक देखी गई प्री-मॉनसून वर्षा के अभाव को कम कर देगा।

फोटो क्रेडिट: विकिमीडिया कॉमन्स






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