बंगाल की उत्तर-पश्चिमी खाड़ी के ऊपर निम्न दबाव का क्षेत्र अब आंशिक रूप से मैदानी इलाकों और शेष समुद्री भाग पर बना हुआ है। यह ओडिशा, छत्तीसगढ़ और बंगाल की खाड़ी के उत्तर पश्चिमी हिस्सों को कवर कर रहा है। अगले 48 घंटों में यह मौसमी सिस्टम ओडिशा, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश से होते हुए उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ेगी। इसके बाद, पूर्वी राजस्थान के बाहरी इलाके से, यह मौसमी सिस्टम कमजोर हो जाएगा और उत्तर पश्चिमी मध्य प्रदेश, दक्षिण पश्चिमi उत्तर प्रदेश और दिल्ली के आसपास के इलाकों से उत्तर की और बढ़ जाएगा। जिसके कारण 25 से 27 जुलाई के बीच दिल्ली, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मूसलाधार बारिश देखने को मिल सकती है।
स्काइमेट द्वारा किये गए पूर्वानुमान के अनुसार, कम दबाव के कारण ओडिशा के अधिकांश हिस्सों में बेहद भारी बारिश हुई है और कई स्थानों पर 24 घंटे में सैकड़ों मिलीमीटर बारिश हुई है। तटीय क्षेत्रों जैसे पुरी, पारादीप और चांदबली में 130 मिमी, 122 मिमी और 156 मिमी बारिश दर्ज की गयी। चांदबली में वर्ष 2010 के बाद से पहली बार 24 घंटों के दौरान इतनी बारिश हुई है और पारादीप के लिए, इस अवधि के दौरान दूसरी बार सबसे अधिक बारिश हुई है। इसके अलावा बौध, सोनपुर और बोलांगीर के आंतरिक जिलों में क्रमशः 177 मिमी, 130 मिमी और 83 मिमी मापा गया। बालासोर, टिटलागढ़ और पुलबनी सहित कई स्थानों पर 30-50 मिमी की मध्यम वर्षा दर्ज की गई।
इस मौसमी सिस्टम का संगम क्षेत्र विदर्भ और तेलंगाना के कुछ हिस्सों पर बना हुआ था। जिसके कारण इन 2 उपखंडों के कुछ स्थानों पर 100 मिमी की बारिश हुई। तेलंगाना के , निजामाबाद, हनमकोंडा और वारंगल में क्रमशः 101 मिमी, 109 मिमी और 109.2 मिमी बारिश दर्ज की गयी है। विदर्भ के चंद्रपुर, गोंदिया और नागपुर में भी क्रमश: 118 मिमी, 98 मिमी और 72 मिमी की भारी बारिश हुई। मध्य महाराष्ट्र, उत्तरी कर्नाटक और पश्चिमी घाट के कुछ हिस्सों में भारी वर्षा देखने को मिली है। वहीं बेलगाम और कोल्हापुर में 145.4 मिमी और 147 मिमी बारिश दर्ज की गई। इसके अलावा पश्चिमी घाट के महाबलेश्वर में इस मानसून मौसम में सबसे भारी बारिश हुई, जो आज सुबह 08:30 बजे तक 594 मिमी दर्ज की गई।
स्काइमेट के विशेषज्ञों के अनुसार, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और विदर्भ में भारी बारिश जारी रहेगी। मौसम की गतिविधियां मध्य प्रदेश, मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र, दक्षिण राजस्थान और गुजरात के इलाकों में भी देखने को मिल सकती है। कोंकण, गोवा और तटीय और उत्तरी आंतरिक कर्नाटक के कई हिस्सों में भी भारी बारिश की संभावना है।
इस निम्न दबाव वाले क्षेत्र के कारण, पूरे भारत में 22 जुलाई को सबसे अधिक बारिश हुई, जो इस सीजन में रोज़ होने वाली 9.6 मिमी की सामान्य बारिश के मुकाबले 14.4 मिमी थी, जो 19 जुलाई को 14.1 मिमी के पहले के रिकॉर्ड को पार कर गई थी। वहीं, अगले 24 घंटों में इसी तरह की वर्षा जारी रहने के आसार हैं। 18 जुलाई तक देश भर में मौसमी वर्षा की कमी 8% थी जो अब घटकर केवल 3% रह गई है। आज इसके 2% तक और गिरने की उम्मीद है। जल्द ही एक और कम दबाव का क्षेत्र बनने के प्रभाव में अच्छी बारिश की उम्मीद के साथ, महीने के अंत तक मौसमी वर्षा अपने औसत आंकड़ों तक भी पहुँच सकती है।