[Hindi] प्री मॉनसून सीज़न के दौरान साइलेंट किलर की तरह आता है आकाशीय बिजली

March 13, 2019 7:57 PM | Skymet Weather Team

मानसून के मौसम में जब भी आसमान में घने बादल मंडराते हैं तो आसमान से उनके गरजने की आवाज सुनाई देती है और आवाज के साथ बिजली भी चमकती हुई दिखती है ,जो कई बार धरती पर गिरती है। जिससे कई बार तो जान माल का भारी नुकसान भी होता है। लेकिन क्या आपको पता है की आखिर आकाशीय बिजली क्या है ? धरती पर क्यों गिरती है? आइये आपको बताते हैं इसकी वजह...

आकाशीय बिजली मनुष्य के लिए सबसे घातक प्राकृतिक घटनाओं में से एक है। साथ हीं , यह पृथ्वी पर सबसे पुरानी देखी गई प्राकृतिक घटनाओं में से एक है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर साल 2,500 से अधिक लोग बिजली गिरने के कारण मर जाते हैं।

Read in English: Lightning a silent killer during Pre Monsoon season

आकाशीय बिजली क्या है?

आकाश में बादलों के बीच घर्षण होने से अचानक इलेक्ट्रोस्टैटिक चार्ज का निर्वहन होता है। जो आमतौर पर आंधी या बारिश के दौरान होती है। गरजने वाले बादलों में लाखों वोल्ट के विद्युत आवेश होते हैं और इसके भीतर अलग-अलग चार्ज होती है। जब विपरीत आवेश(+,-) काफी बनता है, तो हवा की यह इन्सुलेट क्षमता टूट जाती है और बिजली का तेजी से निर्वहन होता है, जिसे हम बिजली के रूप में जानते हैं। इससे भारी मात्रा में चार्ज जमीन के तरफ आता है, जिसे हम प्रकाश के रूप में देख पाते और ध्वनि की कड़कड़ाहट हमारे कानों तक पहुंचती है। इस पूरे प्रक्रिया को हीं आकाशीय बिजली कहते हैं।

आकाशीय बिजली कहां गिरती है?

आमतौर पर, पेड़ और ऊँची-ऊँची इमारतों पर आसमानी बिजली का प्रभाव ज्यादा दिखता है। इसके अलावा पहाड़ भी इससे प्रभावित होते हैं। इसका कारण ये है की पेड़,पहाड़ और ऊँचे इमारतों के शीर्ष तूफान के आधार के ज्यादा करीब होते हैं। बता दें कि, वातावरण एक अच्छा विद्युत इन्सुलेटर है। हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि लंबी स्थानों पर ही हमेशा इस बिजली का असर दिखता है। यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि ज्यादा चार्ज कहां जमा होते हैं। पेड़ वाले इलाके पास होने पर भी बिजली खुले मैदान में जमीन पर गिर कर सकती है।

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कब गिरती है आकाशीय बिजली?

आकाशीय बिजली के लिए मानसून के पूर्व के मौसम में तेज आंधी के कारण वायुमंडलीय स्थिति काफी अनुकूल होती है। इसके अलावा कुछ संवेदनशील मौसम सिस्टम हैं जो इन तूफानों की गति को बढ़ाती हैं। पूर्वोत्तर राज्य समेत बिहार, झारखंड और ओडिशा सहित राजस्थान और उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में इस बिजली के हल्की हल्की हमले की आशंका बनी रहती है।

मालुम हो कि, उत्तर और उत्तर-पूर्व दोनों इलाकों के पहाड़ी क्षेत्र इस आपदा से ग्रस्त हैं। तेज़ रफ़्तार वाली हवाओं और भारी तबाही के साथ हल्की बूंदाबांदी एक घातक संयोजन बन जाती है। इस क्षति से निपटने के लिए एकमात्र सुरक्षा है सावधानी।

क्या आप जानते हैं?

*भारत में मॉनसून के वक्त बना मौसम ऐसे बादलों को बनाता है। लेकिन हकीकत में तो पूरी दुनिया में रोज 8 हजार लाख बार बिजली कड़कती है लेकिन, दुनिया का एक ऐसा इलाका भी है जहां आसमानी बिजली कभी विराम नहीं लेती। इस इलाके को कभी खत्म न होने वाले तूफान का इलाका कहा जाता है। वेनेजुएला में इस इलाके का नाम है लेक मराकाइबो, इसे दुनिया का कुदरती बिजली घर कहा जाता है। यहां साल के 365 दिनों में से 260 दिन तूफान आते हैं।

*दुनिया भर में हर साल करीब 24,000 लोगो की मौत बिजली गिरने की वजह से होती है।

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*एक आसमानी बिजली में इतनी पाॅवर होती है कि 3 महीने तक 100 वाॅट का बल्ब जल सकता है।

*साल 1902 में, बिजली गिरने से 'एफिल टाॅवर' का ऊपरी हिस्सा बर्बाद हो गया था. जिसे बाद में पुन: ठीक किया गया।

*आसमानी बिजली में इतनी ऊर्जा होती है कि एक बार में 1,60,000 ब्रेड के टुकड़े सेंके जा सकते है।

*आकाशीय बिजली गिरने से पुरूषों के मरने की संभावना महिलाओ से पाँच गुना ज्यादा है।

Image Credit: Dailyhunt

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